ढाका। आरक्षण को लेकर बांग्लादेश में भड़की हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। यहां अब तक 115 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल है। इसके अलावा घरों और दुकानों में लगाई कई आग से करोड़ों का नुकसान हुआ है। जगह जगह सुरक्षा बल तैनात किया गया है इसके बाद भी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। बता दें कि सरकारी नौकरियों में कोटा के खिलाफ छात्रों के गुस्से के बाद देश भर में अशांति फैल गई, जिसमें पाकिस्तान से आजादी के लिए लड़ने वालों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण शामिल था। हसीना की सरकार ने 2018 में कोटा प्रणाली को खत्म कर दिया था, लेकिन पिछले महीने एक अदालत ने इसे फिर से लागू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की अपील के बाद इस फैसले को निलंबित कर दिया और 7 अगस्त को होने वाली सुनवाई को आगे बढ़ाने पर सहमति जताते हुए रविवार को मामले की सुनवाई करेगा।

हालात अनियंत्रित होते देख सरकार ने उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए हैं। झड़पों में कई लोगों के मारे जाने और सैकड़ों के घायल होने के बाद शनिवार को पुलिस ने राजधानी के कई हिस्सों में गश्त के दौरान बांग्लादेश में सख्त कर्फ्यू लगा दिया। साथ ही पुलिस को उपद्रवियों को देखते ही गोली मार देने का आदेश दिया गया है। सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव और सांसद ओबैदुल कादर ने बताया कि कर्फ्यू आधी रात को शुरू हुआ और दोपहर 12 बजे से दोपहर 2 बजे तक लोगों को जरूरी काम निपटाने के लिए इसमें ढील दी गई। इस दौरान अधिकारियों को चरम मामलों में भीड़ पर गोली चलाने की अनुमति होगी।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश की राजधानी ढाका की सुनसान सड़कों पर शनिवार को सैनिकों ने गश्त की और सरकार ने सभी कार्यालयों और संस्थानों को दो दिनों के लिए बंद रखने का आदेश दिया। सरकारी नौकरी में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान इस सप्ताह कम से कम 115 लोगों की मौत हो गई थी। अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को ढाका के कुछ इलाकों में छिटपुट झड़पों के दौरान कम से कम चार लोगों की मौत हो गई। यह इलाका विरोध प्रदर्शनों का केंद्र रहा है और जहां सुरक्षा बलों ने कर्फ्यू लागू करने के लिए सड़क अवरोध लगाए थे। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने देश की स्थिति के कारण रविवार और सोमवार को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है तथा केवल आपातकालीन सेवाओं को ही संचालित करने की अनुमति दी गई है। अधिकारियों ने इससे पहले विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को बंद कर दिया था।

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