नई दिल्ली। माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर फेल होने के कारण पूरी दुनिया में कोहराम मच गया. इस वजह से हवाई सेवा, दूरसंचार सेवाओं, बैंक और मीडिया संस्थानों पर सबसे अधिक पड़ा. इस दौरान खास बात यह रही कि इसका लेकिन इसका असर भारतीय रेलवे पर नहीं पड़ा. सबसे हैरानी वाली बात ये रही है कि रेलवे की सभी सुविधाएं आसानी से चलती रहीं. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शुक्रवार को माइक्रोसॉफ्ट के वैश्विक आउटेज का भारतीय रेलवे की सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ा. रेलवे बुकिंग काउंटरों पर उपनगरीय और एक्सप्रेस ट्रेनों की यात्रा के लिए टिकट जारी करने पर कोई असर नहीं पड़ा. वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “ये सभी सेवाएं Y2K समस्याओं के कारण 1999 में ही CRIS पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम पर डेवलप कर ली गई थी. जिस वजह से माइक्रोसॉफ्ट के ठप होने के बावजूद भी सभी सेवाएं सुचारु रूप से चलती रहीं.
CRIS (रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र) रेल मंत्रालय के अधीन एक संगठन है. सीआरआईएस सक्षम आईटी पेशेवरों और अनुभवी रेलवे कर्मियों का एक अनूठा संयोजन है जो इसे मुख्य क्षेत्रों में जटिल रेलवे आईटी सिस्टम को सफलतापूर्वक वितरित करने में सक्षम बनाता है. अपनी स्थापना के बाद से, CRIS भारतीय रेलवे के निम्नलिखित प्रमुख कार्यात्मक क्षेत्रों के लिए सॉफ्टवेयर विकसित/रखरखाव कर रहा है.
माइक्रोसॉफ्ट एक क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म है. आपके गैजेट्स जिन एप्लिकेशन से चलते हैं, उन्हें बनाने और मैनेज करने का काम इसके जरिये होता है. शुक्रवार को माइक्रोसॉफ्ट की क्लाउड सर्विस में दिक्कत आ गई थी. एक एंटी-वायरस ‘क्राउडस्ट्राइक’ के अपडेट के चलते ऐसा हुआ. माइक्रोसॉफ्ट विंडोज के यूजर्स को स्क्रीन अपने डेस्कटाप या लैपटाप की स्क्रीन नीली दिख रही थी। इसे ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ कहा जाता है। सर्वर डाउन होने से लैपटॉप या कंप्यूटर या तो रीस्टार्ट होने लगे या शटडाउन हो गए।
सर्वर डाउन के दौरान CrowdSrike का बार-बार जिक्र हुआ. क्राउड-स्ट्राइक साइबर सिक्योरिटी मुहैया कराने वाला एक प्लेटफ़ॉर्म है. इसका फाल्कन सेंसर अपडेट करने के दौरान एक बग आ गया, जिससे इतनी दिक्कत हुई. माइक्रोसॉफ्ट और क्राउड-स्ट्राइक की टीमें बग को फिक्स करने में जुटी हैं।
साइबर सिक्योरिटी को लेकर भी सवाल उठाए जाते हैं. हाल में नीति आयोग ने एक रिपोर्ट दायर की है, जिसमे में चिंता जताई है कि wind एनर्जी सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले कॉम्पोनेंट्स खासकर चीन से आने वाले कॉम्पोनेंट्स साइबर सिक्योरिटी के मामले में हमारे लिए खतरा साबित हो सकते हैं।
माइक्रोसॉफ्ट के सिस्टम के ठप पड़ने से एयरपोर्ट, हॉस्पिटल, बैंक और शेयर मार्केट में काम रुक गया. अमेरिका में सभी प्रमुख एयरलाइंस ने अपनी उड़ानें कुछ समय के लिए रद्द कर दीं. बैंक और वित्तीय संस्थान भी प्रभावित हुए. इसके अलावा असोसिएटेड प्रेस AP जैसी समाचार एजेंसियां भी कुछ समय के लिए बंद हो गईं. ब्रिटेन में एयरपोर्ट पर असर पड़ा. वहां का स्काई न्यूज बंद हो गया. ट्रेन और फ्लाइट सर्विस पर असर पड़ा. शेयर मार्केट में ट्रेडिंग नहीं हो पाई. इससे कारोबार में अच्छा-खासा नुकसान हो गया।
जर्मनी में बर्लिन जैसे एयरपोर्ट पर उड़ानें रद्द करनी पड़ीं. हॉस्पिटल में ऑपरेशन टालने पड़े. फ्रांस में 26 जुलाई से ओलिंपिक खेलों की शुरुआत हो रही है, लेकिन माइक्रोसॉफ्ट में गड़बड़ी की वजह से वहां के भी कंप्यूटर बंद हो गए. इससे ओलिंपिक की तैयारियों पर पर असर पड़ा।
भारत में भी उड़ानों पर असर पड़ा. सर्वर डाउन होने से स्पाइस जेट, अकासा एयर जैसी एयरलाइंस की उड़ानें कुछ समय के लिए रोक दी गईं. कई यात्रियों को हाथ से लिखकर बोर्डिंग पास दिए गए. ऑस्ट्रेलिया में भी माइक्रोसॉफ़्ट के बिगड़ने से उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।
माइक्रोसॉफ्ट में आज जो हुआ, उससे साइबर सिक्योरिटी पर गंभीर सवाल उठे हैं. कई लोगों में पूरे मामले को लेकर कंफ्यूजन भी है. ऐसे में साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट प्रशांत माली ने आसान शब्दों में इसकी बारीकियां समझाई हैं.
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट प्रशांत माली ने NDTV से कहा, “माइक्रोसॉफ्ट में जो भी हुआ, उसकी वजह एंटी वायरस अपडेशन ही था. क्राउडस्ट्राइक नाम की एक कंपनी है. ये दुनिया की सबसे बड़ी साइबर सिक्योरिटी कंपनी है. क्राउडस्ट्राइक का फाल्कन सेंसर नाम से एक क्लाइंट है. इसी में एक एरर आ गया था. चूंकि माइक्रोसॉफ्ट भी इसे यूज करता है, लिहाजा एंटी वायरस अपडेशन से बग आ गया. जिससे सर्वर डाउन हो गया।