नई दिल्ली । नेस्ले इंडिया ने हाल ही में खुलासा किया है कि भारत में मैगी के बाजार में इजाफा हुआ है। 2023-24 में मात्र छह अरब पैकेट्स बिक चुके हैं। इसके बाद ये साफ हो चुका हैं कि मैगी ने भारतीय लोगों के दैनिक आहार में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। इस तरह, अन्य प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ भी लोकप्रिय हो रहे हैं, जिन्हें सुपरमार्केट्स में बड़े पैम्फलेट्स के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद, इन पदार्थों का अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है।

अनुसंधान के अनुसार, औसतन प्रत्येक व्यक्ति महीने में 40.1 रुपये से अधिक प्रोसेस्ड फूड पर खर्च कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इस प्रवृत्ति के चलते दुनिया भर में फास्ट फूड पर नियम बनाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, कई देशों ने प्रसंस्कृत भोजन के लिए नियम और दिशा-निर्देश बन दिए हैं। भारत में भी खाद्य सुरक्षा नियामक ने हाल ही में पैकेज्ड फूड पर चीनी, नमक और वसा से जुड़ी जानकारी प्रकाशित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इससे पैकेजिंग पर पोषण लेबलिंग प्रणाली को भी बढ़ावा मिलेगा।

2022-23 में मोदी सरकार के घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण के अनुसार शीर्ष 5 प्रतिशत शहरी परिवार (खर्च) के हिसाब से ) प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर हर महीने प्रति व्यक्ति 538 रुपये तक खर्च करते हैं। यह प्रवृत्ति केवल खाने की आदतों के बारे में नहीं है, बल्कि इस आदत ने फास्ट-फूड दिग्गजों की बिक्री को बढ़ाने में भी मदद की है।

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