वॉशिंगटन। नेशनेल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी नासा ने गुरुवार को चंद्रमा पर रोवर उतारने के मिशन को रद्द करने की घोषणा की। इसके पीछे एक ही कारण बताया जा रहा है कि नासा की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। हालांकि इसके लिए अंतरिक्ष एजेंसी ने लागत में वृद्धि और प्रक्षेपण में देरी का हवाला दिया। एजेंसी के चंद्रमा पर खोज के कार्यक्रम के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है। नासा के मुताबिक वह इस मिशन के विकास पर अब तक करीब 450 मिलियन डॉलर खर्च कर चुका है।
रोवर को एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी की ओर से प्रदान किए गए लैंडर पर 2023 में लॉन्च करने की योजना थी। लेकिन, 2022 में नासा ने 2024 के अंत तक लॉन्च में देरी की बात कही, ताकि ग्रिफिन लैंडर व्हीकल के प्रीफ्लाइट टेस्ट के लिए ज्यादा समय मिल सके। इसके बाद लॉन्च की तारीख सितंबर 2025 तक बढ़ा दी गई। जबकि, मिशन की लागत बढ़कर 606.6 मिलियन डॉलर होने का अनुमान लगाया गया।नासा के विज्ञान मिशन निदेशालय के सहयोगी प्रशासक निकी फॉक्स ने कहा, इस तरह के फैसले आसान नहीं होते। लेकिन इस मामले में वीआईपीईआर (वोलाटाइल्स इन्वेस्टिगेटिंग पोलार एक्सप्लोरेशन रोवर) के लिए अनुमानित शेष खर्चों के चलते कई अन्य मिशनों को या तो रद्द करना पड़ता या उन्हें रोकना पड़ता। नासा के आर्टेमिस चंद्र रोवर (वीआईपीईआर) का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ और अन्य संसाधनों का पता लगाना था। विज्ञान मिशन निदेशालय में अन्वेषण के उप सहायक प्रशासक जोएल क्रियर्न्स ने कहा, रोवर को पूरी तरह से तैयार किया गया था। लेकिन ऐसे परीक्षण नहीं हुए थे जो प्रमाणित कर सके कि यह प्रक्षेपण का सामना कर सकता है।