मुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशों को शामिल करने के लिए बेसिक गाइडलाइंस में संशोधन किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में बैंकों से खाते को धोखाधड़ी की श्रेणी में डालने से पहले कर्जदारों की बात सुनने को कहा था। केंद्रीय बैंक ने कहा कि धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर 3 संशोधित मूल दिशा-निर्देश सिद्धांत-आधारित हैं। ये पूरी संचालन व्यवस्था और धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन की निगरानी में निदेशक मंडल की भूमिका को मजबूत करते हैं। आरबीआई ने बयान में कहा ‎कि मूल निर्देशों में अब स्पष्ट रूप से जरूरी है कि केंद्रीय बैंक के दायरे में आने वाली इकाइयां उच्चतम न्यायालय के 27 मार्च, 2023 के फैसले को ध्यान में रखते हुए व्यक्तियों या संस्थाओं के खातों को धोखाधड़ी की श्रेणी में रखने से पहले समयबद्ध तरीके से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का अनुपालन सुनिश्चित करें। आरबीआई ने कहा ‎कि जिन व्यक्तियों या संस्थाओं को कारण बताओ नोटिस दिया गया, उन्हें इस मामले में जवाब देने के लिए कम से कम 21 दिनों का उचित समय प्रदान किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि एसबीआई बनाम राजेश अग्रवाल मामले में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने किसी खाते को धोखाधड़ी की श्रेणी में डालने से पहले कर्ज लेने वाले की बातों को सुने जाने के उसके अधिकारों की वकालत की। बयान के अनुसार प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के तहत कर्जदारों को नोटिस दिया जाना चाहिए, फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षों को समझाने का अवसर दिया जाना चाहिए और उनके खाते को मास्टर निर्देशों के तहत धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने से पहले संबंधित बैंकों को उन्हें अपना पक्ष रखने की अनुमति दी जानी चाहिए।

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