नई दिल्ली । शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत के आगे पूरा देश नतमस्तक है। जिन्होंने आग में फंसे अपने साथियों को बचाने के लिए अपनी जान गंवा दी थी। उनकी बहादुरी और पराक्रम के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें कीर्ति चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने दिल्ली में रक्षा अलंकरण समारोह में दिवंगत अधिकारी की पत्नी स्मृति और मां मंजू सिंह को कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत पर कीर्ति चक्र प्रदान किया। यह शांतिकाल में वीरता के लिए दिया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार है। कीर्ति चक्र प्राप्त करने के बाद शहीद कैप्टन की पत्नी स्मृति ने अपनी लव स्टोरी सुनाई थी और वह काफी भावुक भी दिखी थीं। अपना पति खो चुकी स्मृति दर्द कम नहीं हैं लेकिन शहीद के माता पिता को दोहरे जख्म मिले हैं एक तो अपना बेटा खो दिया दूसरा बहू स्मृति ने उनका घर छोड़ दिया और जो कुछ भी था वो सब अपने साथ ले गई। कैप्टन की मां मंजू सिंह ने बताया कि उनकी बहू नोएडा के घर से अपना सारा सामान पैक करके अपने साथ ले गई। जब उनकी बेटी नोएडा गई तो उसे इस बारे में पता चला कि स्मृति अपना सारा सामान पैक करके यहां से भी चली गई हैं। कैप्टन ने पिता ने कहा, मेरा बेटा उनसे प्रेम करता था लेकिन उन्होंने प्रेम की परिभाषा को तार-तार कर दिया। मेरे पास न बेटा बचा, न बहू बची और न इज्जत बची।
अब कैप्टन अंशुमान सिंह के मां-बाप ने अपनी बहू पर बड़े आरोप लगाए हैं। शहीद ने पिता रवि प्रताप सिंह का कहना है कि सरकार की तरफ से मिलने वाले मुआवजे का बड़ा हिस्सा उनको मिला। उन्होंने कहा, आर्मी की एक प्रक्रिया है। उसके मुताबिक, जो निकटतम परिजन को मिलना है वो उसे मिला। वो सब उनको (स्मृति) को मिला। यूपी सरकार के पैसों में से 35 लाख उनको मिले और 15 लाख हमें मिले। आर्मी इंश्योरेंस का पैसा था वो 50-50 हुआ। बाकी पुरस्कार की राशि भी उनको मिलेगी। पेंशन उनको मिलेगी। कीर्ति चक्र की पेंशन भी उनको मिलेगी। उन्होंने कहा, हमें नहीं पता कि उनको (बहू को) और कहां से कितना पैसा मिला। उन्होंने तो हमें परिवार का हिस्सा ही नहीं समझा। कैप्टन की मां ने कहा कि उनकी बहू कहती है कि उनको ये पैसा सरकार दे रही है। माता पिता का कहना है कि उनकी बहू उनका परिवार छोड़कर जा चुकी है और सब कुछ अपने साथ ले गई है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह ने बताया कि अंशुमान सिंह की पत्नी उनका परिवार छोड़कर जा चुकी हैं। उन्होंने कहा, हमें आजतक ये नहीं पता चला कि वे हमारा परिवार छोड़कर क्यों गईं। उन्होंने भारत मंडपम में हुए रक्षा अलंकरण समारोह में एक इंटरव्यू दिया। वो भी मुझे लगता है कि सत्य से परे था। क्योंकि उन्होंने कहा कि हमारी (अंशुमान से) लंबी बातचीत हुई थी। जबकि वो रात के साढ़े 9 बजे से लेकर 12 बजे तक अपने दोस्तों का आईटीआर भरवाने के लिए हमारे साथ लगी रहीं। मेरी बेटी और वे (स्मृति) एक ही साथ थीं।
अंशुमान के पिता ने उन पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 18 तारीख को मेरी एक या दो मिनट अंशुमान से बात हुई थी और कोई बात नहीं हुई। 19 तारीख को तो घटना ही हो गई थी। उन्होंने कहा, मैंने 1 फरवरी को पूजन कराया था। उसमें भी वो (स्मृति) नहीं आईं। वो हमेशा एक बात कहती रहीं कि हमें समय चाहिए संभलने के लिए। लेकिन आज एक साल हो गया है और मुझे समझ नहीं आया कि वो संभल गई या नहीं। कैप्टन के पिता ने कहा कि उनके (स्मृति के) इस घर से जाने के 10 ही दिन बाद वो एक स्कूल में पढ़ाने लगीं। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति स्कूल में तभी पढ़ा सकता है जब वह मानसिक रूप से स्थिर हो।
सास ससुर के साथ सिर्फ 5 महीने रही बहू
रवि प्रताप सिंह ने अपने बेटे के ससुराल वालों पर भी बड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बहू से ज्यादा उनके माता-पिता का इन्फ्लुएंस रहा है। उन लोगों का अपना ताना बाना है। वो हमारे साथ 5 महीने ही रही हैं। हमसे जब भी बात होती थी तो बहू नहीं बल्कि उनके माता-पिता बात करते थे। कैप्टन की मां ने कहा कि उनकी बहू ने यहां से जाने के कुछ दिन तक ही रिप्लाई किया इसके बाद अचानक सबकुछ छोड़ दिया। रवि प्रताप सिंह ने बहुत बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी पहले से प्लानिंग थी कि उनको हमसे कोई रिश्ता नहीं रखना है। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को बेटे को सम्मान देने की घोषणा हुई थी तभी उनकी अपनी बहू से बात हुई। इस दौरान उन्हें पूजा कराने के बारे में बताया गया। लेकिन जब पूजा के लिए बुलाया तो उन्होंने फोन उठाने से इनकार कर दिया।