नई दिल्ली। लगता है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ग्रह नक्षत्र ठीक नहीं चल रहे हैं। लंबे समय के बाद उन्हे सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली है। लेकिन जेल से रिहाई में एक बड़ा पेंच फंस गया है। जिसके कारण उनकी जेल से रिहाई नहीं हो पाएगी। वजह ये है कि दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मामले में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी है। जबकि सीबीआई मामले में अभी वह न्यायिक हिरासत में हैं। जेल से बाहर आने के लिए उन्हें उसमें भी जमानत लेनी होगी।दरअसल, दिल्ली आबकारी नीति मामले में अरविंद केजरीवाल ने ईडी की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। अरविंद केजरीवाल की याचिका पर पर फैसले के वक्त जरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और ईडी के वकील एसजी तुषार मेहता अदालत में मौजूद थे। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तीन सवाल तय किए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बड़ी बेंच के समक्ष भेज दिया।

मुख्यमंत्री अरविंद को ईडी ने धनशोधन मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। उन्हें एक निचली अदालत ने एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर मामले में 20 जून को जमानत दी थी। हालांकि, ईडी ने अगले दिन दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था और दलील दी थी कि केजरीवाल को जमानत देने का निचली अदालत का आदेश एकतरफा और गलत था। अरविंद केजरीवाल को कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में 26 जून को सीबीआई ने भी गिरफ्तार किया था।जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया। पीठ ने 17 मई को अरविंद केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर ईडी से जवाब मांगा था। आम आदमी पार्टी के संयोजक ने दिल्ली हाईकोर्ट के नौ अप्रैल के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए कहा था कि इसमें कोई अवैधता नहीं है और जांच में उनके शामिल होने से बार-बार इनकार करने के बाद ईडी के पास कोई विकल्प नहीं बचा था।

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