मॉस्को। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी रूस यात्रा पर गए हैं और उनके इस दौरे पर अमेरिका समेत तकरीबन सारे पश्चिमी देशों की नजर है। मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच दो चरणों में होने वाली वार्ता के बाद कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। भारत के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा,यह दो करीबी मित्रों और विश्वसनीय साझेदारों की बैठक थी। वहीं, राष्ट्रपति पुतिन ने मुलाकात के दौरान देश की प्रगति के लिए किए गए काम के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा,मैं आपको प्रधानमंत्री के रूप में दोबारा चुने जाने पर बधाई देना चाहता हूं। मुझे लगता है कि यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि आपके कई वर्षों के काम का नतीजा है।
पुतिन ने कहा,आपके विचार आपके अपने हैं। आप बहुत ऊर्जावान व्यक्ति हैं, जो भारत और भारतीय लोगों के हितों में परिणाम प्राप्त करने में सक्षम हैं। परिणाम स्पष्ट है। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में मजबूती से शुमार है। जब मोदी ने हाल में हुए चुनावों को याद करते हुए कहा, भारत के लोगों ने उन्हें मातृभूमि की सेवा करने का मौका दिया है। तो पुतिन ने कहा, आपने अपना पूरा जीवन भारतीय लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया है और वह इसे महसूस कर सकते हैं। इस पर प्रधानमंत्री ने मुस्कुराते हुए कहा, आप सही कह रहे हैं, मेरा एक ही लक्ष्य है- जनता और मेरा देश। मॉस्को एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मांटुरोव ने किया। बाद में राष्ट्रपति पुतिन से प्रधानमंत्री मोदी का अपने सरकारी आवास पर स्वागत किया। इस दौरान चाय पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई। प्रधानमंत्री ने बाद में एक्स पर पोस्ट में राष्ट्रपति पुतिन का आभार जताते हुए कहा,मंगलवार को होने वाली हमारी वार्ता को लेकर भी उत्सुक हूं, जो निश्चित रूप से भारत और रूस के बीच मैत्री को और मजबूत करने में सहायक होगी। इन मुद्दों पर होगी चर्चा प्रधानमंत्री मोदी आज पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और मॉस्को में 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे। शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा और रक्षा सहित विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तार देने के तरीकों पर चर्चा होगी। पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध बातचीत का एक अहम मुद्दा हो सकता है।