डिब्रूगढ़ जेल से चुनाव लड़ने के बाद पंजाब की खडूर साहिब सीट से सांसद चुना गया …

नई दिल्ली। ‘वारिस पंजाब दे’ के अमृतपाल सिंह यानी भिंडरावाला के भक्त हैं. अब वह संसद में शपथ लेने जा रहे हैं. कल तक उन्हें खालिस्तानी समर्थक कहा जाता था आज वे अचानक संसद में ‘माननीय’ कहलाएंगे. कुछ साल पहले तक की अमृतपाल सिंपल जींस-टीशर्ट वाली तस्वीरें अब कुर्ते और पगड़ी में बदल चुकी हैं. असम की जेल से चुनाव लड़ने के बाद पंजाब की खडूर साहिब सीट से सांसद चुने गए कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह को पद की शपथ लेने के लिए शुक्रवार से चार दिनों की पैरोल दी गई है. राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह ने 11 जून को पंजाब सरकार को पत्र लिखकर पैरोल का अनुरोध किया था ताकि वह शपथ ले सकें. राज्य सरकार ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक आवेदन भेजा था और उसके आधार पर पैरोल का फैसला लिया गया है.

 

अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने बुधवार को बताया, “अमृतपाल सिंह को कुछ शर्तों के साथ 5 जुलाई से 4 दिन या उससे कम की पैरोल दी गई है, जिसके बारे में डिब्रूगढ़ जेल अधीक्षक को सूचित कर दिया गया है.” हालांकि, अमृतपाल सिंह के वकील और उसके परिवार का कहना है कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है कि वह किस दिन शपथ लेने वाले हैं.

 

‘वारिस पंजाब दे’ राजनीतिक समूह के प्रमुख प्रचारक ने निर्दलीय के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के कुलबीर सिंह जीरा को लगभग 2 लाख मतों के अंतर से हराया है. सांसद अमृतपाल का कहना है कि वह खालिस्तानी जरनैल सिंह भिंडरावाले से प्रेरित हैं. अमृतपाल सिंह का नाम अपने सहयोगियों के साथ मिलकर वैमनस्य फैलाने, हत्या के प्रयास और पुलिसकर्मियों पर हमले से संबंधित कई मामलों में दर्ज है.

 

कौन हैं अमृतपाल सिंह ?

 

अमृतपाल मूलतः पंजाब के जल्लूपुर गांव का रहनेवाला है और उसने 12वीं तक की पढ़ाई की है. उसकी पढ़ाई गांव के है स्कूल में हुई है. साल 2012 में वो दुबई चला गया था, जहां उसने ट्रांसपोर्ट का कारोबार किया. उसके ज्यादातर संबंधी दुबई में ही रहते हैं. इसके बाद वह पिछले साल सितंबर 2022 में भारत लौट आया था. उसी महीने उसे वारिस पंजाब दे का प्रमुख नियुक्त किया गया था, जो एक भारतीय अभिनेता और कार्यकर्ता दीप सिद्धू द्वारा स्थापित एक संगठन है, जिनकी फरवरी 2022 में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी.

 

यह संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधारों के खिलाफ किसान आंदोलन करने के एक विशाल अभियान का हिस्सा था. भारत लौटने के बाद से अमृतपाल सिंह सिखों के अधिकारों की रक्षा के लिए मार्च का नेतृत्व कर रहा था, जो भारत की आबादी का 1.7 प्रतिशत हैं. खालिस्तान आंदोलन के समर्थकों के बीच सिंह के भाषण तेजी से लोकप्रिय हुए थे.

 

अमृतपाल सिंह ने पिछले साल की थी शादी

 

30 साल का अमृतपाल सिंह शादीशुदा है. उसने 10 फरवरी 2023 को अपने पैतृक गांव में एक सादे समारोह में ब्रिटेन की रहने वाली एनआरआई लड़की किरणदीप से शादी की थी. आनंद कारज में दोनों परिवारों के लोग शामिल हुए. किरणदीप मूल रूप से जालंधर के कुलारां गांव की हैं, लेकिन कुछ समय पहले उसका परिवार इंग्लैंड में बस गया था.

 

पुलिस थाने पर धावा बोलने में संलिप्त होने के कारण अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार

 

अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार घटनाओं की श्रृंखला पिछले साल फरवरी में शुरू हुई थी, जब उसके सैकड़ों समर्थकों ने जेल में बंद एक सहयोगी की रिहाई की मांग को लेकर तलवारों और बंदूकों के साथ पंजाब के अजनाला पुलिस थाने पर धावा बोल दिया था. 18 मार्च को पंजाब में पुलिस ने सड़कों पर नाकेबंदी कर दी और हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया, क्योंकि वे पुलिस थाने पर धावा बोलने में संलिप्त होने के कारण उसे गिरफ्तार करना चाहते थे. हालांकि, उस वक्त अमृतपाल सिंह भाग पाने में कामयाब रहा था.

 

इसके बाद भारतीय अधिकारियों ने एक महीने तक तलाशी अभियान चलाया, जिसमें हजारों अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया और पंजाब के कुछ इलाकों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं. पुलिस ने बताया कि उन्होंने सिंह के 154 समर्थकों को भी गिरफ्तार किया है तथा उनके पास से 10 बंदूकें और गोलाबारूद जब्त किया है.

 

सिंह को आखिरकार पंजाब के मोगा जिले के रोडे गांव में गुरुद्वारे से गिरफ्तार कर लिया गया था. उसे राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया, जिसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माने जाने वाले लोगों को बिना किसी आरोप के एक साल तक हिरासत में रखा जा सकता है. बता दें अमृतपाल की हिरासत अवधि 24 जुलाई को समाप्त होनी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव की मतगणना से एक दिन पहले 3 जून को उसकी हिरासत की अवधि को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया. अमृतपाल पर एनएसए के तहत मामला दर्ज है. इससे अतिरिक्त उसके खिलाफ हत्या, अपहरण समेत कई केस हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *