ग्वालियर : मध्यप्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर कितनी भी लगाम लगाने की बात करे, लेकिन अधिकारी और कर्मचारी मिलकर आज भी शासकीय धनराशि में सेंध लगा रहे हैं। ऐसा ग्वालियर के PHE डिपार्मेंट में हुआ है। जहां 84 करोड़ की राशि भ्रष्टाचार के पलीते चढ़ गई। शुरुआत में इस भ्रष्टाचार को लेकर सिर्फ नौ आरोपी बनाए गए थे, लेकिन अब ग्वालियर कलेक्टर ने 74 लोगों पर मामला दर्ज करने के आर्डर जारी कर दिए हैं। ग्वालियर के पीएचई डिपार्टमेंट के अधिकारी और कर्मचारियों ने सरकार की ऐसी किरकिरी कराई है कि कलेक्टर को 74 लोगों पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश देने पड़े।

क्योंकि इन कर्मचारियों ने 84 करोड़ की राशि फर्जी तरीके से बंदर बांट कर ली और वह भी ऐसे कर्मचारियों के नाम से जिनमें कई तो अब इस दुनिया में ही नहीं हैं। शिकायत के बाद जब इसकी फाइनेंशियल टीम ने जांच की तो इसमें कुछ PHE विभाग के अधिकारी, कुछ ट्रेजरी ऑफिसर और कुछ फर्म के नाम पर भुगतान कर दिया गया। दरअसल, यह भ्रष्टाचार तब सामने आया जब PHE विभाग के इंजीनियर संजय सोलंकी ने सरकारी धनराशि मरे हुए लोगों के खाते में ट्रांसफर करने की शिकायत क्राइम ब्रांच में की थी। पुलिस ने शुरुआती जांच में नौ लोगों पर मामला दर्ज किया था, जिसमें फरियादी संजय सोलंकी भी शामिल है। 84 करोड़ की राशि को दूसरों के खाते में ट्रांसफर करने के लिए फर्जी दस्तावेज और अकाउंट खुलवाए गए।

इस पूरे घोटाले में वैसे तो मुख्य आरोपी संजय सोलंकी और हीरालाल हैं। लेकिन उन सभी लोगों को आरोपी बनाया जा रहा है, जिनके खाते में रकम ट्रांसफर की गई और जिन्होंने ट्रांसफर की। यानी डिपार्टमेंट के अधिकारियों से लेकर ट्रेजरी ऑफिसर तक इसमें शामिल हैं। इस घोटाले के मास्टरमाइंड संजय सोलंकी ने कर्मचारियों के नाम पर अलग खाते खुलवा लिए और राशि उन खातों में ट्रांसफर करवाई गई। लेकिन जांच में पाया गया कि जिस मद में राशि ट्रांसफर करवानी थी, उसके बिल ही नहीं लगाए गए और फर्जी तरीके से दस्तावेज बनाकर राशि खातों में ट्रांसफर करने की आर्डर जारी कर दिए गए।

यह राशि एक बार नहीं, बल्कि कई बार ट्रांसफर की गई, जिनके खातों में पैसा गया उनमें कुछ कर्मचारियों का वेतन बताया गया। कुछ विभागीय कार्य करने वाली फर्म बताई गई और कुछ अन्य लोग भी शामिल हैं। हैरानी की बात तो यह है कि दर्जनों खाते ऐसे हैं, जिनमें पांच लाख से ऊपर की मिलती-जुलती एक जैसी रकम उनके खातों में ट्रांसफर की गई। इसीलिए जांच टीम को यह मामला संदिग्ध लगा। फिलहाल तो पुलिस ने इस घोटाले में छह आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। अब इसमें 74 और लोगों को चिन्हित किया गया है, अब जल्दी इनकी गिरफ्तारी भी की जाएगी।

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