नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की और उनके द्वारा आपातकाल का उल्लेख किये जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। राहुल गांधी ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से राजनीतिक है और इसे टाला जा सकता था। कांग्रेस के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने संसद में बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि यह एक शिष्टाचार भेंट थी। राहुल गांधी ने सदन में स्पीकर द्वारा आपातकाल लागू किये जाने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि यह एक शिष्टाचार भेंट थी। अध्यक्ष ओम बिरला ने राहुल गांधी को विपक्ष का नेता घोषित किया और इसके बाद उन्होंने अन्य गठबंधन सहयोगी नेताओं के साथ स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की।

क्या राहुल गांधी ने सदन में उठाए जा रहे आपातकाल के मुद्दे पर चर्चा के सवाल पर वेणुगोपाल ने कहा कि हमने संसद के कामकाज के बारे में चर्चा की है। बेशक, यह मुद्दा भी उठा। कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी ने इस मुद्दे के बारे में अध्यक्ष बिरला को जानकारी दी और कहा कि इसे अध्यक्ष के संदर्भ से टाला जा सकता था। यह स्पष्ट रूप से एक राजनीतिक संदर्भ है। लोकसभा स्पीकर बनने के तुरंत बाद बिरला ने बुधवार को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा संविधान पर हमला बताते हुए आपातकाल लगाने की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पढ़कर खलबली मचा दी थी, जिसके बाद सदन में कांग्रेस सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया था।

स्पीकर बिरला ने कहा कि 26 जून 1975 को देश को आपातकाल की क्रूर वास्तविकताओं का एहसास हुआ, जब कांग्रेस सरकार ने विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया था, मीडिया पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे और न्यायपालिका की स्वायत्तता पर भी अंकुश लगा दिया था। लोकसभा में विपक्ष के नेता का पदभार संभालने के बाद यह राहुल गांधी की लोकसभा अध्यक्ष से पहली मुलाकात थी। उनके साथ सपा के धर्मेंद्र यादव, द्रमुक की कनिमोझी, शिवसेना (सपा) की सुप्रिया सुले और टीएमसी के कल्याण बनर्जी के अलावा कुछ अन्य नेता भी मौजूद थे।

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