जिनेवा। विकसित देशों को डर सता रहा है कि डॉनल्ड ट्रंप इस साल नवंबर में अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए तो डब्ल्यूटीओ की गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं। भारत इन देशों के से किसी प्रयास का हिस्सा नहीं बनना चाहता है। जिनेवा में भारत के एक व्यापार राजनयिक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, नॉर्वे, स्विटजरलैंड, सिंगापुर, जापान और दक्षिण कोरिया ई-कॉमर्स और मछुआरों को सब्सिडी दिए जाने से जुड़े मसलों पर सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

भारत का कहना था कि मछुआरों को सब्सिडी पर कोई व्यापक समझौता समान परंतु विभेदित उत्तरदायित्व के सिद्धातों (सीबीडीआर-आरसी) पर आधारित होना चाहिए। भारत का कहना है कि विकासशील देशों में मछुआरों को विशेष आर्थिक क्षेत्रों (उनके अधिकार वाले जल से 200 नॉटिकल मील तक) में मछली पकड़ने के लिए सब्सिडी की व्यवस्था जारी रहनी चाहिए। भारत का यह भी कहना रहा है कि इस सीमा से बाहर मछली पकड़ने के लिए विकसित देशों को अपने मछुआरों को अगले 25 वर्षों तक किसी प्रकार की सब्सिडी नहीं देनी चाहिए।

मगर फिलहाल हालात ऐसे नहीं दिख रहे हैं क्योंकि अब तक कोई दस्तावेज भी नहीं सौंपा गया है। इन देशों को लगता है कि अगर ट्रंप अमेरिका के अगले राष्ट्रपति बने तो उनके कार्यकाल में डब्ल्यूटीओ कमजोर हो जाएगा। इस डर के कारण वे नवंबर से पहले किसी न किसी तरह सहमति कायम कर लेना चाहते हैं।’ नवीनतम आंकड़ों एवं सर्वेक्षणों के अनुसार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने की दौड़ में ट्रंप मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन से आगे निकलते दिख रहे हैं। शुक्रवार को जी-7 समूह के नेताओं ने इटली में सम्मेलन के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि वे डब्ल्यूटीओ में नियम आधारित, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष, समान एवं पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के प्रति कटिबद्ध हैं।बयान में कहा गया, ‘हम ई-कॉमर्स पर पर संयुक्त वक्तव्य पहल की दिशा में काम करने का मजबूत इरादा रखते हैं। हम दुनिया में मछली पकड़ने पर दी जाने वाली सब्सिडी पर एक महत्त्वाकांक्षी एवं व्यापक समझौते के पक्षधर हैं।’ ट्रंप जब अमेरिका के राष्ट्रपति थे तो उन्होंने डब्ल्यूटीओ को कमजोर और अनुचित व्यवस्था करार दिया था। उन्होंने इस वैश्विक संस्था से अमेरिका के हटने की भी धमकी तक दे डाली थी। उन्होंने डब्ल्यूटीओं की अपील इकाई में नई नियुक्तियों का रास्ता भी बंद कर दिया था जिसके बाद इस संस्था में विवाद सुलझाने की व्यवस्था बाधित हो गई।

राजनियक ने कहा कि भारत हमेशा से अपने हितों को देखते हुए कदम बढ़ाता आया है और दूसरे देशों की कवायद को स्वयं पर हावी होने नहीं दिया है। उन्होंने कहा, ‘मछुआरों को सब्सिडी दिए जाने के विषय पर हमारा रुख अब भी वही है जो पहले था। जहां तक ई-कॉमर्स जेएसआई की बात है तो हम इनका हिस्सा नहीं हैं बल्कि पर्यवेक्षक मात्र हैं।’ इन विषयों पर वाणिज्य मंत्रालय को भेजे गए ई-मेल का समाचार लिखे जाने तक जवाब नहीं आया था। अबू धाबी में डब्ल्यूटीओ की 13वीं मंत्रिस्तरीय बैठक (एमसी13) में डब्ल्यूटीओ सदस्य देशों के बीच मछुआरों को दी जाने वाली सब्सिडी पर सहमति नहीं बन पाई थी। मछुआरों की सब्सिडी मिलने से मछली उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है।

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