दूध, टोल के बाद खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़े…

थोक महंगाई 15 महीनों के ऊपरी स्तर पर…

मई में 2.61 प्रतिशत पर पहुंची, फरवरी 2023 में 3.85 प्रतिशत रही थी

अब महंगाई से दो-दो हाथ की बारी

-बढ़ता खर्चा और घटती आमदनी, महंगाई की व्यवस्था में पिस रहा है मध्यवर्गीय परिवार

नई दिल्ली। मई में थोक महंगाई बढक़र 15 महीनों के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई है। आज यानी 14 जून को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार मई में थोक महंगाई बढक़र 2.61 प्रतिशत पर पहुंच गई है। फरवरी 2023 में थोक महंगाई दर 3.85 प्रतिशत रही थी। वहीं अप्रैल 2024 में महंगाई 1.26 प्रतिशत रही थी, जो 13 महीने का उच्चतम स्तर था। इससे एक महीने पहले मार्च 2024 में ये 0.53 प्रतिशत रही थी। फरवरी में थोक महंगाई 0.20 प्रतिशत रही थी। उधर, बुधवार को रिटेल महंगाई में गिरावट देखने को मिली थी।

दरअसल, लोकसभा चुनाव खत्म होते ही देश की जनता को महंगाई से दो-दो हाथ करने का समय आ गया है। जून का पहला सोमवार जनता के लिए महंगाई का ट्रिपल डोज लेकर आया है। देश की सबसे बड़ी दूध उत्पादन कंपनी अमूल इंडिया और मदर इंडिया ने दूध के दाम बढ़ा दिया है। वहीं एनएचआई ने भी टोल दरों में 5 फीसदी की वृद्धि कर दी है। जानकारों का कहना है कि नई सरकार के गठन के साथ ही महंगाई का करंट और बढ़ जाएगा। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद आम लोगों के बीच दूसरा सवाल भी रेंगने लगा है। दरअसल, लोकसभा चुनाव खत्म होते ही महंगाई का करंट लगना शुरू हो गया है। खाद्य पदार्थों के साथ ही आवष्यक वस्तुओं के दाम बढऩे लगा है। जानकारों का कहा है कि आने वाला समय महंगाई से दो-दो हाथ करने वाला रहेगा।

मई में खाद्य महंगाई दर 1.88 प्रतिशत बढ़ी

खाद्य महंगाई दर अप्रैल के मुकाबले 5.52 प्रतिशत से बढक़र 7.40 प्रतिशत हो गई। रोजाना की जरूरत वाले सामानों की महंगाई दर 5.01 प्रतिशत से बढक़र 7.20 प्रतिशत हो गई। फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर 1.38 प्रतिशत से घटकर 1.35 प्रतिशत रही। मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर -0.42 प्रतिशत से बढक़र 0.78 प्रतिशत रही। इससे पहले 12 जून को मई के रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी हुए थे। इसके अनुसार मई में रिटेल महंगाई 4.75 प्रतिशत रही। यह 12 महीने का निचला स्तर है। वहीं एक महीने पहले यानी अप्रैल में रिटेल महंगाई घटकर 4.83 प्रतिशत पर आ गई थी।

मध्यवर्गीय परिवार सबसे परेशान

पिछले कुछ वर्षों से देश के परिवारों, खासकर मध्यवर्गीय परिवारों का व्यय लगातार बढ़ रहा है। इस अनुपात में उनकी आय में वृद्धि नहीं हो रही, इस कारण उनकी बचत भी निरंतर घट रही है। हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में बताया गया कि देश में परिवारों की शुद्ध बचत पिछले तीन वर्षों में नौ लाख करोड़ रुपए से अधिक घटकर वित्तवर्ष 2022-23 में केवल 14.16 लाख करोड़ रुपए रह गई। मंत्रालय द्वारा जारी ताजा राष्ट्रीय खाता सांख्यिकी 2024 के अनुसार वित्तवर्ष 2020-21 में परिवारों की शुद्ध बचत 23.29 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई थी, और उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आ रही है। वित्तवर्ष 2021-22 में देश के परिवारों की शुद्ध बचत घटकर 17.12 लाख करोड़ रुपए रह गई। यह पिछले पांच वर्षों में बचत का सबसे निचला स्तर है। बचत घटने का सबसे बड़ा कारण परिवारों के जीवन निर्वाह व्यय और अन्य व्ययों में बढ़ोतरी है। जीवन निर्वाह व्यय किसी एक खास स्थान और समय अवधि के दौरान आवास, भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा, कर जैसे मूलभूत व्ययों के लिए जरूरी धन की मात्रा है। अगर देश में महंगाई बढ़ती है तो इनके लिए किए जाने वाले खर्च की राशि भी बढ़ती है। बढ़ी हुई महंगाई गरीब, मध्यवर्गीय और गरीबी से नीचे के लोगों को प्रभावित करती है। महंगाई का सबसे बुरा असर गरीब वर्ग पर पड़ता है।

दैनिक उपयोग की वस्तुएं महंगी

दैनिक उपभोग की वस्तुओं के मूल्य में बढ़ोतरी से आम भारतीय परिवारों की जीवन स्तर निरंतर गिरता जा रहा है। हालांकि सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए जाने वाले थोक और खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार महंगाई घटती हुई प्रतीत होती है, लेकिन बाजार में वह कहीं नजर नहीं आती। व्यवहार में छोटी-मोटी वस्तुएं, जो कुछ वर्ष पहले रुपए-दो रुपए में मिलती थी, पहले वह पांच रुपए की हुई, अब दस रुपए की है। दस रुपए एक तरह से मुद्रा की न्यूनतम इकाई हो गई है। इस तरह छोटी-मोटी वस्तुओं की कीमत पांच से दस गुना तक बढ़ गई। पिछले कुछ वर्षों में यह चलन आम हो गया है कि बाजार में वस्तुओं की कीमत बढ़ी हुई न दिखे, इसलिए निर्माताओं ने मूल्य वही रखते हुए उसकी मात्रा या वजन घटा दिया। इससे वह जल्दी-जल्दी समाप्त होने लगी, बार-बार खरीदने की जरूरत के चलते जिस वस्तु का मूल्य घटा हुआ दिखता है, वह वास्तव में पहले से ज्यादा महंगी पडऩे लगी है।

भारत में महंगाई के आंकड़ें

अगर बात भारत में महंगाई के आंकड़ों की करें तो लगातार दो महीने से रिटेल महंगाई 5 फीसदी से नीचे देखने को मिली है। मार्च के महीने में रिटेल महंगाई 4.85 फीसदी पर थी। उसके बाद अप्रैल में खुदरा महंगाई के आंकड़ें 4.83 फीसदी पर दिखाई दिए थे। देश में अप्रैल के महीने में खुदरा महंगाई 11 महीने में सबसे कम देखने को मिली थी। वहीं देश में बीते 8 महीने से खुदरा महंगाई के आंकड़ें 6 फीसदी से कम देखने को मिल रहे हैं। जून के महीने में महंगाई के आंकड़ें थोड़ें और कम देखने को मिल सकते हैं। आंकड़ा 4.50 फीसदी पर आ सकता है। आरबीआई के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में महंगाई के आंकड़ें 4.5 फीसदी पर रह सकते हैं। जोकि वित्त वर्ष 2023-24 में 5.4 फीसदी और 2022-23 में 6.7 फीसदी देखने को मिले थे।

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