भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि राज्य सरकार को विभिन्न स्त्रोतों से हो रही राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएं। राजस्व प्राप्तियों के लिए अन्य राज्यों द्वारा क्रियान्वित की जा रही बेस्ट प्रैक्टिसेस को अपनाने के साथ-साथ राज्य की परिस्थितियों के अनुसार अधिक प्रभावी कार्ययोजना बनाने के उद्देश्य से विषय-विशेषज्ञों की सलाह भी ली जाए। राजस्व प्राप्तियां बढ़ाने के लिए पारदर्शिता और ईमानदारी से कार्य हो। अधिक राजस्व प्राप्तियों से ही विकास और जनकल्याणमूलक कार्यों को गति मिलेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव वर्ष 2024-25 की राजस्व प्राप्तियों की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। समत्व भवन में हुई बैठक में मुख्य सचिव वीरा राणा, अपर मुख्य सचिव जे.एन. कंसोटिया, एस.एन. मिश्रा, डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव वित्त मनीष सिंह सहित अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्टाम्प और पंजीयन में सजगता बढ़ाते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि भूमि के वास्तविक मूल्य और जिस दर पर रजिस्ट्री हो रही है, उसमें अधिक अंतर न हो। प्रदेश के जिन स्थानों पर दरों में अधिक असमानता है, वहाँ दरों को समायोजित किया जाए। आबकारी से जुड़ी गतिविधियों में राजस्व हानि रोकने और नियमानुसार सामग्री का विक्रय सुनिश्चित करने के लिए आकस्मिक निरीक्षण संबंधी कार्रवाईयाँ बढ़ाई जाएं। राजस्व, धर्मस्व सहित अन्य विभागों की भूमियों को चिन्हित कर सुनिश्चित किया जाए कि इन पर अतिक्रमण न हो तथा ऐसी भूमियों के महत्व अनुसार राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि की दृष्टि से उनका उपयोग सुनिश्चित किया जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश से निकलने वाली खनिज सम्पदा पर निगरानी के लिए अद्यतन तकनीक का उपयोग करते हुए प्रदेश में नाकों की संख्या बढ़ाई जाए। खनन के लिए आवंटित निर्धारित क्षेत्र में खनन गतिविधियां हों, इस पर निगरानी के लिए ड्रोन और सेटेलाइट सर्वे का उपयोग किया जाए। खनिज व्यवसाय में प्रदेश के व्यावसायियों को प्रोत्साहित किया जाए, प्रदेश में खनिज आधारित उद्योगों को बढ़ाने के लिए नीति बनाई जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में उपलब्ध वन सम्पदा और लकड़ी पर आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाए। देश में जिन स्थानों पर लकड़ी की मांग अधिक है, वहाँ प्रदेश की श्रेष्ठ लकड़ी की नीलामी की व्यवस्था विकसित की जाए। बैठक में वैट, जीएसटी, स्टाम्प पंजीयन, माइनिंग, आबकारी, राजस्व, खनिज, परिवहन, ऊर्जा, वन और सिंचाई क्षेत्र से आने वाली राजस्व प्राप्तियों के लक्ष्य, वर्तमान स्थिति और आगामी कार्ययोजना पर विचार-विमर्श हुआ।