दिल्ली : यूपी में बीजेपी के कमजोर प्रदर्शन के कारण पार्टी के भीतर हाहाकार मचा हुआ है. खराब प्रदर्शन का ठीकरा किसके सिर फूटेगा यही सवाल उठ रहा है? सूत्रों के हवाले से खबर है कि यूपी में भाजपा के हारे हुए सांसदों की खराब परफॉर्मेंस पर इंटरनल रिपोर्ट तैयार हो रही है. सूत्रों के अनुसार जिला लेवल पर जो बात निकल कर आई है उसमें ये कहा जा रहा है कि जिन सांसदों के खिलाफ माहौल होने के आधार पर संगठन की ओर से टिकट बदलने की रिपोर्ट हाईकमान को भेजी गई थी, ज्यादातर वही सांसद हारे हैं.
सर्वे की रिपोर्ट-नहीं हुई स्वीकार !
सूत्रों के मुताबिक सांसदों की लोकप्रियता और जीतने की संभावना को आधार बनाकर पार्टी की ओर से कराए गए सर्वे में तीन दर्जन से अधिक सांसदों के चुनाव न जीतने की रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को मिली थी. इनमें कई केंद्रीय मंत्री भी शामिल थे. इसकी अनदेखी करके उन्हें दोबारा टिकट दे दिया गया. यूपी में भाजपा की बिगड़ी चाल के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार पार्टी के ही बड़े नेताओं का अति आत्मविश्वास है जिस तरह से स्थानीय और पार्टी के काडर कार्यकर्ताओं की अनदेखी करते हुए टिकट का बंटवारा किया गया उससे भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ.
अति आत्मविश्वास के शिकार !
अपने पूरे कार्यकाल में जनता के बीच काम न करके ऐसे तमाम सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसे बैठे रहे. इसी कारण तमाम सांसदों को जनता ने नकार दिया है. पश्चिम से लेकर पूरब तक करीब 40 मौजूदा सांसदों के खिलाफ माहौल खराब होने की बात कही जा रही थी. पार्टी की जिला इकाई से लेकर क्षेत्रीय और प्रदेश स्तर से भी ऐसे सांसदों के बारे में रिपोर्ट दिल्ली भेजी गई थी, इसके बावजूद उनमें से अधिकांश को दोबारा टिकट दिया गया. आंतरिक रिपोर्ट में ‘फेल’ घोषित ऐसे सांसदों के खिलाफ बने माहौल को भांपते हुए उनको जिताने के लिए खूब कोशिश भी की गई. संबंधित सीटों के जातीय समीकरणों को देखते हुए उसी जाति के कई मंत्रियों के साथ प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों को भी उन सीटों पर उतारा गया. इसके बावजूद जनता में पनपी नाराजगी कम नहीं हुई।
विधानसभावार यदि इन नतीजों को देखा जाए तो 156 विधानसभा क्षेत्र ही जीत सकी भाजपा. 76 संसदीय क्षेत्रों में 156 सीटें ऐसी रही जिसमें भाजपा को हार मिली जबकि समाजवादी पार्टी ने 188 विधासभा सीटों पर बढ़त बनाई है. कांग्रेस को 22 विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली है.