नई दिल्ली । : कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने 4 जून को बाजार गिरावट पर जेपीसी जांच की मांग एक प्रेस वार्ता में की है। इस दौरान राहुल ने सवाल किया कि क्या लोगों को निवेश पर सलाह देना प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का काम है?
लोकसभा चुनाव 2024 में रायबरेली और वायनाड से विजयी रहे सांसद राहुल गांधी ने प्रेस वार्ता में कहा कि पहली बार ऐसा देखा गया है कि चुनाव के दौरान देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री समेत वित्त मंत्री शेयर बाजार पर बयान देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने तो दो से चार बार कहा, कि शेयर बाजार तेजी से बढ़ने जा रहा है। उनके संदेश को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और गृह मंत्री अमित शाह ने भी आगे बढ़ाने का काम किया। राहुल का आरोप है कि गृह मंत्री शाह ने कहा था कि 4 चार जून से पहले शेयर खरीदें। प्रधानमंत्री मोदी ने भी यही कहा। यहां 28 मई को फिर से इसे दोहराया गया। इसके बाद 3 जून को शेयर बाजार ने सारे रिकॉर्ड तोड़े और 4 जून को शेयर बाजार नीचे चला गया।
राहुल गांधी ने इस पूरे मामले की जांच संयुक्त जांच समिति (जेपीसी) से कराए जाने की मांग की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना था कि इस मामले में भाजपा के सबसे बड़े नेताओं ने कहा है और रिटेल इंवेस्टर को संदेश दिया है… उनके पास जानकारी थी कि भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने वाला है। वह जानते थे कि 3 से 4 जून को क्या होने वाला है…इस संदेश से 30 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसमें भी हजारों-लाखों करोड़ रुपये का चुने हुए लोगों को लाभ हुआ है। हम प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, जिन्होंने एग्जिट पोल किया उन पर और विदेशी निवेशक पर जांच करवाने की मांग करते हैं। गौरतलब है कि राहुल गांधी गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यहां उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने चुनाव परिणामों की घोषणा से कुछ दिन पहले शेयर बाजार के बारे में टिप्पणी क्यों की? खास बात तो यह है कि भाजपा के ही आंतरिक आधिकारिक सर्वे में उनके लिए 220 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था। बहरहाल शेयर मार्केट को लेकर किए गए संदेशों पर जांच की मांग की जा रही है, जो वाकई गंभीर है।