वाशिंगटन। रुस और यूक्रेन जंग को दो साल से ज्यादा हो चुके हैं इसमें कई लोगों की जानें भी गई हैं और सैकड़ों घर तबाह हो चुके हैं लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल पा रहा है। अब वहीं रूस के साथ संभावित संघर्ष के लिए नाटो सेना तैयारी कर रही है, ताकि 300,000 अमेरिकी सैनिकों को यूरोपीय मोर्चे पर जल्दी से तैनात किया जा सके।

लेफ्टिनेंट जनरल अलेक्जेंडर सोलफ्रैंक ने कहा कि हम उन्हें जानते हैं, अफगानिस्तान और इराक में विशाल रसद अड्डे अब संभव नहीं हैं क्योंकि संघर्ष की स्थिति में उन पर पहले ही हमला किया जाएगा और उन्हें नष्ट कर दिया जाएगा। ये गलियारे नीदरलैंड, इटली, ग्रीस, तुर्की और नॉर्वे के बंदरगाहों के साथ-साथ जर्मनी-पोलैंड रेलवे का उपयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि रूसी चेतावनियों के साथ यह रणनीतिक कदम किसी भी खतरे में पड़े नाटो क्षेत्र की रक्षा के लिए तेजी से सैन्य सुदृढ़ीकरण सुनिश्चित करता है। इससे पहले नाटो देशों ब्रिटेन, कनाडा, लातविया, लिथुआनिया, द नीदरलैंड्स, पोलैंड, फिनलैंड, फ्रांस, चेक गणराज्य, स्वीडन और इस्तोनिया ने मिलकर यूक्रेन को रूस के टारगेट्स पर स्ट्राइक करने को कहा था। ये सभी देश मिलकर यूक्रेन को सपोर्ट कर रहे हैं और हथियार भी सप्लाई कर रहे हैं।

रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी पहले ही दावा कर चुकी है। रूस की मुख्य इंटेलिजेंस एजेंसी ने यह पुख्ता किया है कि नाटो देश रूस के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। रूसी जासूसी एजेंसी कह चुकी है कि इस हमले से पहले नाटो देश पहले साइबरअटैक करेंगे। उसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक करके रूसी नेताओं को मार सकते हैं। इसके बाद रूस के खिलाफ जंग छेड़ेंगे। रूस का दावा है कि नाटो इसके लिए सालों से तैयारी कर रहा है।

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