लखनऊ। लोकसभा चुनाव के नतीजों का नतीजा निकालें तो इस बार मतदाताओं ने बसपा छोड़कर किसी को दुखी नहीं किया है। भाजपा इसलिए खुश है, क्योंकि उसकी सरकार तीसरी बार बनती दिख रही है। सपा खुश है क्योंकि उसके सांसदों की संख्या में बड़ी बढ़ोतरी हुई और वह कांग्रेस के बाद सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी। कांग्रेस भी खुश है क्योंकि वो यूपी में एक सीट से 6 सीटों वाली पार्टी बन गई। लेकिन, सिर्फ एक ही पार्टी के खेमे में मायूसी फैली है और वो बसपा। बहुजन समाज पार्टी के लिए लोकसभा के नतीजे विधानसभा चुनाव 2022 से भी खराब रहे। विधानसभा में तो कम से कम पार्टी को एक सीट मिल गयी थी। लेकिन, लोकसभा के चुनाव में तो उसका खाता खुलना तो छोड़िए एक भी उम्मीद्वार ऐसा नहीं है जो दूसरे नंबर पर भी हो. ऐसी बुरी गत पार्टी ने पहले नहीं देखी थी। हाल ये है कि यूपी की सभी 80 सीटों में से हर जगह बसपा या तो तीसरे नंबर पर रही या चौथे नंबर पर। वोटरों ने पार्टी का वो हाल कर दिया कि बसपा शायद ही किसी सीट पर अपनी जमानत बचा पाई।

ये हाल उस पार्टी का है जिसने पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। उसने 10 सीटें जीती थीं लेकिन, पांच साल के बाद उसे एक भी सीट नसीब नहीं हुई। बसपा को 10 फीसदी भी वोट नहीं मिले। 2022 विधानसभा चुनाव में बसपा को 12.88 फीसदी वोट मिले थे। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ 9.38 फीसदी वोट ही मिले। तो आखिर ऐसे क्या कारण हैं जिसकी वजह से पार्टी की ऐसी दुर्गति गयी। सबसे बड़ी वजह तो यही मानी जा रही है कि गठबंधन के दौर में मायावती ने अकेले लड़ने का फैसला किया। उनके इस फैसले के बाद से ही कहा जा रहा था कि मायावती हारी हुई बाजी लड़ रही है। विधानसभा चुनाव 2022 के रिजल्ट के बाद ये तो तय हो ही गया था कि बसपा यूपी में भाजपा और सपा से काफी पीछे हो गयी है। ऐसे में इस लोकसभा चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कुव्वत पार्टी में तो थी नहीं। मायावती को लगा होगा कि यदि त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो पार्टी को कुछ सीटें मिल जायेंगी। नतीजे से पता चलता कि मुका

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