कीव । यूक्रेन और रूस के बीच साल 2022 की शुरुआत से जंग छिड़ी हुई है। मॉस्को का दावा है कि यूक्रेन के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया गया है। इतना ही नहीं पिछले दिनों हुए रूसी राष्ट्रपति चुनावों में इन इलाकों में वोटिंग हुई थी। अब एक नई बहस छिड़ गई है। दरअसल कुछ रोज पहले ही यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की का कार्यकाल खत्म हुआ, लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया।

यूक्रेन में भी इलेक्शन का समय आ चुका, लेकिन प्रेसिडेंट जेलेंस्की टर्म खत्म होने के बाद भी न चुनाव के लिए राजी हैं, न ही पद छोड़ रहे हैं। असल में यूक्रेन में भारी बर्बादी हो चुकी। यूक्रेन से भारी संख्या में दूसरे देशों की ओर पलायन लगातार चलता रहा। इसके बाद चुनाव कराना बड़ा काम है, खासकर जब सीमाओं पर भारी अस्थिरता हो। यह देख जेलेंस्की सरकार इलेक्शन करवाने से बच रही है।

20 मई 2019 को जेलेंस्की ने कीव में यूक्रेन के राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। लगभग 73 प्रतिशत वोट्स के साथ जीतकर आने पर जेलेंस्की ने कहा था कि हममें से हरेक प्रेसिडेंट है। ये भाषण काफी पसंद किया गया। पांच सालों के बाद मई में उनका आधिकारिक टर्म खत्म हो चुका। इसके बाद भी फिलहाल वहीं राष्ट्रपति हैं। हालांकि विपक्ष चाहता है कि चुनाव हों क्योंकि लड़ाई का कोई भरोसा नहीं, वहां कितनी लंबी खिंच जाए।

कुछ समय पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कीव के हालात पर टिप्पणी कर कहा कि यूक्रेन के लीगल सिस्टम को जेलेंस्की के पद पर बने रहने की वैधता को देखना चाहिए। हालांकि साथ में उन्होंने ये भी जोड़ा कि वे सिर्फ इसलिए ये कह रहे हैं क्योंकि दोनों देशों में जंग है।

जेलेंस्की ने कहा कि मार्शल लॉ की वजह से उन्हें पद पर रहना होगा। ये मार्शल लॉ खुद उन्होंने ही लागू किया। बता दें कि अगर ये लॉ न होता तब यूक्रेन में मार्च 2024 में चुनाव हो चुके होते, और 20 मई को नया राष्ट्रपति शपथ लेता।

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