वॉशिंगटन । अंतहीन है अंतरिक्ष की कहावत एक बार फिर सही सावित हो गई है। नासा के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ग्रह की खोज की है जो हीरे से बना हुआ है। इसकी वजन धरती से 9 गुना ज्यादा और आकार दो गुना है। नासा ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का उपयोग करते हुए एक ऐसा एक्सोप्लैनेट ढूंढा है, जो हीरे से बना हुआ है। इसकी चौड़ाई पृथ्वी से लगभग दोगुनी है और वजन हमारे ग्रह से लगभग नौ गुना अधिक।
रिसर्च टीम के सदस्य और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के रिसर्चर रेन्यू हू ने कहा, हमने इस चट्टानी ग्रह का थर्मल उत्सर्जन मापा। संकेत मिलते हैं कि इसमें पर्याप्त वातावरण है। यह शायद 55 कैनरी ई के चट्टानी आंतरिक भाग से निकलने वाली गैसों की वजह से है। इसके बारे में जानना काफी रोमांचक है। 55 कैनक्री ई को 2004 में तलाशा गया था। मूल रूप से जैनसेन नाम से जाना जाने वाला यह विश्व का पहला सुपर-अर्थ था जो दूर के मुख्य अनुक्रम तारे की परिक्रमा कर रहा था। यानी एक तारा जो अभी भी अपने मूल में हाइड्रोजन को हीलियम में परिवर्तित कर रहा है।
नासा की ओर से शेयर की गई जानकारी के मुताबिक, इस ग्रह को 55 कैनरी ई के नाम से जाना जाता है। यह हमारे सौर मंडल से लगभग 41 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। खगोलविदों का मानना है कि यह ग्रह गर्म लावा से ढंका हुआ है और यह तब हुआ जब इसके तारे ने अपना पहला वातावरण नष्ट कर दिया था। माना जाता है कि यह ग्रह पूरी तरह हीरे से बना हुआ है।
वैज्ञानिकों ने इसे सुपर अर्थ के रूप में वर्गीकृत किया है। सुपर अर्थ उन्हें कहते हैं जो धरती से विशाल होते हैं, लेकिन नेप्च्यून और यूरेनस जैसे ग्रहों की तुलना में हल्के होते हैं।यह एक्सोप्लैनेट काफी घना है। इसलिए खगोलविदों का अनुमान है कि यह कार्बन से बना हुआ है, जिसमें हीरे छिपे हुए हैं। यह ग्रह भी सूर्य की तरह एक तारे 55 कैनक्री ए से 2.3 मिलियन किलोमीटर दूर है। यह दूरी धरती और सूर्य के बीच की दूरी का 0.01544 गुना है. यह लगभग 17 घंटों में अपने तारे की परिक्रमा कर लेता है। इसकी गर्म सतह का तापमान लगभग 2,400 डिग्री सेल्सियस है। नए शोध से संकेत मिलता है कि इस ग्रह के चारों ओर गैसों की एक मोटी परत है। यानी इसने दूसरा वातावरण विकसित कर लिया है। हालांकि, वैज्ञानिक यह नहीं जान पाए कि ये कैसे हुआ?