नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध आपसी हितों और पारस्परिक संवेदनशीलता पर आधारित है। वहीं, एस जयशंकर ने मालदीव पर भारत की ओर से किए गए अहसान का भी याद दिलाया। विदेश मंत्री ने कहा कि मालदीव के विकास में भारत ने अहम योगदान निभाया है। हमारे देश के परियोजनाओं ने मालदीव के लोगों के जीवन को लाभान्वित किया है। भारत की वजह से मालदीव के जीवन की गुणवत्ता बढ़ी है। पिछले कुछ दिनों पहले मालवदीव के विदेश मंत्री ज़मीर ने कहा था कि जो हुआ, वह सरकार का विचार नहीं है और हमारा मानना ​​है कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। वहीं, भारत ने भी पड़ोसी मुल्क के साथ रिश्तों को बेहतर बनाने पर जोर दिया है। इसका मतलब है कि भारत विरोधी बयान देने वाले मालदीव के नेताओं को अपनी गलती का अहसास होने लगा है। भारत दौरे पर आए मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोनों देशों के रिश्तों के बेहतर बनाने के लिए प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की।

एस जयशंकर ने कहा कि जहां तक ​​भारत का सवाल है, हमारी पड़ोसी प्रथम नीति और सागर नीति के तहत यह बैठक दोनों देशों के संबंध को बेहतर बनाएगी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बैठक में आगे कहा,दुनिया आज एक अस्थिर और अनिश्चित दौर से गुजर रही है। ऐसे समय में, जैसा कि हमने कोविड के दौरान देखा, प्राकृतिक आपदाओं और आर्थिक कठिनाइयों के दौरान, पड़ोसियों के साथ घनिष्ठ साझेदारी बहुत मूल्यवान है।इस साल के जनवरी महीने में पीएम नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया था। उन्होंने वहां कुछ वक्त गुजारा और इस द्वीप पर बिताए कुछ पलों को उन्होंने दुनिया से साझा किया। इसके बाद कई लोगों ने लक्षद्वीप की खूबसूरती की तुलना मालदीव से किया। यह बात मालदीव सराकर के कुछ मंत्रियों को बुरी लगी। उन्होंने भारत विरोधी टिप्पणी की।मालदीव के युवा अधिकारिता, सूचना और कला मंत्रालय में डिप्टी मंत्री मरियम शिउना ने पीएम मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की। सांसद जाहिद रमीज सहित मालदीव के अन्य अधिकारियों ने सोशल मीडिया पर तस्वीरों के वायरल होने के बाद पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा का मजाक उड़ाया। मालदीव के नताओं के ऐसे बयानबाजी की वजह से दोनों के रिश्तों में खटास पैदा हो गई।

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