नई दिल्ली। आपातकाल के दौरान जब देश के बड़े विपक्षी नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया था। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राजस्थान के एक किले में खजाना खोजने के लिए सेना की टुकड़ी उतार दी। यह खजाना आज भी रहस्य बना हुआ है। आज तक पता नहीं चला कि अगर किले से खजाना निकला तब कहां चला गया। वैसे इंदिरा सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि पांच महीने चले अभियान में कोई खजाना हाथ नहीं लगा है।
बात अगस्त 1976 की है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को एक पत्र लिखा था। पाकिस्तान की ओर से कहा गया था कि जयपुर के जयगढ़ किले में जो खजाने की खोज चल रही है उसपर पाकिस्तान का भी अधिकार है। इससे पता चलता है कि इस खजाने की चर्चा इतना ज्यादा थी कि बात पाकिस्तान तक पहुंच गई। इतना ही तब के पाकिस्तान के पीएम ने उसपर अपना दावा ठोंक दिया।
दरअसल बात मुगल काल की है जब अकबर ने अपने सेनापति राजा मान सिंह को अफगानिस्तान फतह करने के लिए भेजा था। बताया जाता है कि राजा मान सिंह ने अफगानिस्तान में जीत हासिल कर बहुत सारा खजाना लेकर वापस लौटे। हालांकि उन्होंने खजाने की जानकारी अकबर को नहीं देकर खाजने को जयगढ़ के किले में बनी पानी की टंकियों (जल संरक्षण के लिए) में छिपा दिया। आरएस खानगरोट और पीएस नाथावत ने 1990 में आई किताब जयगढ़, द इनविसाइबल फोर्ट ऑफ आंबेर में इसका जिक्र किया है।
हफ्त तिलिस्मात ए आंबेर नाम की किताब में पहली बार खजाने का जिक्र किया था। बताया गया कि आंबेर के किले के पीछे बने पानी के टैंक में खजाना छिपाया गया था। ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने भी इस खजाने को तलाशने की कोशिश की थी लेकिन नाकाम रहे थे। आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी के पास अच्छा मौका था। प्रेस पर बैन था। बड़े नेता जेल में थे। तभी कांग्रेस विरोधी रही राजमाता गायत्री देवी को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद किले में खुदई शुरू हो गई। सेना की टुकड़ी के साथ आयकर विभाग और अन्य टीमें किले में उतर चुकी थीं। पाचं महीने तक यह काम चलता रहा।
खुदाई के दौरान अक्सर किले के ऊपर हेलिकॉप्टर देखे जाते थे। इससे इस बात को और बढ़ावा मिला कि किले में जरूर खजाना है। वहीं बीच में इंदिरा गांधी अपने सुपुत्र संजय गांधी को साथ लेकर किले में गई। खुदाई पूरी होने के बाद इंदिरा गांधी ने कहा कि जयगढ़ में 230 किलो चांदी के अलावा और कोई खजाना नहीं मिला है।
जयगढ़ का यह कथित खजाना तब से रहस्य ही बना हुआ है। कई बार कोशिश आरटीआई डालकर जानकारी हासिल करने की की गई। इसके बावजूद कोई जानकारी नहीं मिली। यह भी कहा जाता है कि खुदाई के दौरान कई दिनों तक जयपुर-दिल्ली हाइवे को बंद कर दिया गया था। इस दौरान किले से 50 से 60 ट्रक दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। हालांकि यह कभी पता नहीं चल पाया कि ट्रकों में क्या था।