-वैज्ञानिकों को दिखाई दिए ग्रह के बाहर इंद्रधनुष
वाशिंगटन। पहली बार वैज्ञानिकों ने सौर मंडल के बाहर के किसी ग्रह पर “ग्लोरी इफेक्ट” नाम की एक दुर्लभ घटना देखी है। यह इंद्रधनुष जैसे रंगीन संकेंद्रित छल्लों का एक समूह है जो केवल खास हालात में बनता है। ऐसे छल्ले पृथ्वी पर अक्सर देखे जाते हैं और इसके अलावा दूसरे ग्रह शुक्र पर इसका असर केवल एक बार ही पाया गया है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी के सीएचईओपीएस एक्सोप्लैनेट कैरेक्टराइजेशन सैटेलाइट के साथ-साथ कई अन्य ईएसए और नासा अभियानों के आंकड़ों से पता चला है कि वास्प-76बी नाम के ग्रह के दिन के हिस्से की तरफ असहनीय गर्मी के बीच इंद्रधनुष के छल्ले हो सकते हैं, जो अपने सूरज और उसके अंधेरे पक्ष पर अंतहीन रात का सामना करता है। इसी को पहले सौरमंडल के बार दिखने वाली ग्लोरी घटना कहा जा रहा है। अति-गर्म गैस विशाल वास्प-76बी का नारकीय वातावरण पृथ्वी से 637 प्रकाश वर्ष दूर होने का अनुमान है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगर इसकी पुष्टि हो जाती है तो यह पहली “एक्स्ट्रासोलर ग्लोरी” इस बाह्यग्रह की प्रकृति के बारे में और अधिक खुलासा करेगी। पुर्तगाल में इंस्टीट्यूटो डी एस्ट्रोफिसिका ई सिएन्सियास डो के एक खगोलशास्त्री और अध्ययन के प्रमुख लेखक ओलिवियर डेमांजोन ने कहा, “यह एक कारण है कि हमारे सौर मंडल के बाहर पहले ऐसी कोई घटना नहीं देखी गई है। इसके लिए बहुत ही अनोखी परिस्थितियों की आवश्यकता होती है।”“सबसे पहले, आपको ऐसे वायुमंडलीय कणों की आवश्यकता है जो पूरी तरह से गोलाकार हों, पूरी तरह से समान हों और लंबे समय तक देखे जाने के लिए पर्याप्त स्थिर हों। ग्रह के नजदीकी तारे का सीधे उस पर चमकना जरूरी है। वहीं अवलोकनकर्ता, इस मामले में चेयोप्स, का सही दिशाविन्यास भी आवश्यक है। एक्सोप्लैनेट्स का अध्ययन करने वाले ईएसए रिसर्च फेलो मैथ्यू स्टैंडिंग ने बताया, “हम जो देख रहे हैं उसका अविश्वसनीय पैमाना ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। वास्प-76बी कई सौ प्रकाश वर्ष दूर है। यह एक अत्यंत गर्म गैस विशाल ग्रह है, जहां पिघले हुए लोहे की बारिश की संभावना है ।