वाशिंगटन । अब चंद्रमा की अपनी एक अलग तरह की टाइम जोन होगी जो पूरी तरह से चंद्रमा के भूगोल के ही अनुकूल होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने नासा को चंद्रमा की पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुरूप टाइमकीपिंग की एक क्रांतिकारी पद्धति विकसित करने का काम सौंपा है। इसका मकसद चंद्रमा-केंद्रित समय संदर्भ प्रणाली बनाना है। यह चंद्रमा के कम गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के अनुकूल होगी। यह अनुकूलन जरुरी है, क्योंकि इन गुरुत्वाकर्षण अंतरों के कारण चंद्रमा पर समय थोड़ा तेजी से बीतता है। इससे प्रत्येक दिन 58.7 माइक्रोसेकंड का फर्क आता है, जो खगोलीय गणनाओं के लिए समस्या कारण हो सकता है। नासा के संचार और नेविगेशन प्रमुख केविन कॉगिन्स ने परियोजना के बारे में बताया कि चंद्रमा पर एक परमाणु घड़ी पृथ्वी पर एक घड़ी की तुलना में एक अलग गति से चलेगी। कॉगिन्स ने कहा, यह समझ में आता है कि जब आप चंद्रमा या मंगल जैसे किसी अन्य पिंड पर जाते हैं, तब हर जगह दिल की धड़कन अलग होती है। यह पहल अंतरिक्ष अन्वेषण की उभरती जरूरतों को दर्शाती है। अतीत में, चंद्र मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्री पारंपरिक घड़ियों पर निर्भर रहते थे। हालाकि, आधुनिक जीपीएस, उपग्रह प्रौद्योगिकियों और जटिल कंप्यूटर और संचार प्रणालियों के लिए आवश्यक सटीकता के लिए अधिक सटीक टाइमकीपिंग की आवश्यकता होती है। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन समन्वित सार्वभौमिक समय (यूटीसी) के अपने उपयोग को बनाए रखेगा, जिसका श्रेय पृथ्वी से इसकी निकटता को जाता है। अंतरिक्ष समय की शुरुआत का निर्धारण एक चुनौती है, जिसका सामना करने के लिए नासा तैयार है। इसके बाद, एजेंसी को समय माप की जटिलताओं को समझना होगा। पृथ्वी पर भी समय में उतार-चढ़ाव हो सकता है, कभी-कभी लीप सेकंड जोड़ने की आवश्यकता होती है।