नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार की एक याचिका पर प्रधान सचिव (वित्त) को दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को धन जारी करने के लिए कहा। शीर्ष अदालत ने मामले में डीजेबी को पक्षकार बनाने का भी निर्देश दिया है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने दिल्ली के प्रधान सचिव (वित्त) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी की दलीलों का संज्ञान लिया कि अपने ही अधिकारी के खिलाफ याचिका दायर करने वाली दिल्ली सरकार ने डीजेबी को पक्षकार नहीं बनाया है। जेठमलानी ने कहा, ‘‘उन्होंने (दिल्ली सरकार) डीजेबी को पक्षकार नहीं बनाया है, जबकि डीजेबी ही वह प्राधिकार है, जिसे धन की जरूरत है। पीठ ने कहा, ‘‘हम डीजेबी को (एक पक्ष के रूप में) उनसे (बकाया राशि के बारे में) पता लगाने के लिए पक्षकार बनाएंगे।।।इस बीच, वह धनराशि जारी करें, जिसका भुगतान करना है। सुनवाई की शुरुआत में दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि संबंधित मंत्री ने वित्त सचिव को छह बार पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक समूची धनराशि जारी नहीं की गई है। पीठ ने कहा कि वह जल बोर्ड से बकाये धनराशि के बारे में जानना चाहती है। अदालत ने यह भी कहा कि इन मुद्दों का शीघ्र निपटारा करने की जरूरत है। पीठ ने दिल्ली सरकार की याचिका की अगली सुनवाई के लिए 10 अप्रैल की तारीख निर्धारित की। शीर्ष अदालत ने एक अप्रैल को दिल्ली के प्रधान सचिव (वित्त) को आप-नीत सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि अधिकारी विधानसभा द्वारा बजटीय मंजूरी के बावजूद दिल्ली जल बोर्ड को धन जारी नहीं कर रहे। दिल्ली सरकार ने कहा था कि नौकरशाह सरकार के निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं। सरकार ने कहा था कि डीजेबी को 1,927 करोड़ रुपये अभी भी जारी नहीं किए गए हैं। पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की इन दलीलों पर संज्ञान लेने के बाद उपराज्यपाल कार्यालय को नोटिस जारी नहीं किया था कि दिल्ली सरकार के वित्त विभाग द्वारा धन के वितरण में उपराज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है। दिल्ली सरकार ने कहा था कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए डीजेबी को कुल 4,578.15 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जिसमें 31 मार्च को प्राप्त 760 करोड़ रुपये शामिल हैं। सरकार ने कहा था कि 1,927 करोड़ रुपये अभी भी बकाया हैं। नौकरशाही और सत्तारूढ़ सरकार में गतिरोध के बीच मुद्दे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने 20 मार्च को शीर्ष अदालत का रुख किया था। प्रधान न्यायाधीश ने आम आदमी पार्टी-नीत सरकार को आश्वासन दिया था कि वह 31 मार्च को वित्त वर्ष खत्म होने के बाद भी डीजेबी के लिए निर्धारित धनराशि जारी करने का आदेश दे सकते हैं।