एस.कुमार, ख़बर ख़बरों की।

लोकसभा-2024 के कुरुक्षेत्र में सेनाएं आमने सामने सन्नध हैं। चुनाव आयोग ने बिगुल बजा दिया है। रामरथ पर सवार भाजपा के महारथियों को पास मोदी का महा अस्त्र है जिसके जवाब में कथित I.N.D.I. गठबंधन के तरकश में कसावट अब तक तो नज़र नहीं आ सकी है, इनका हर अस्त्र बिखरा हुआ है। कुछ माह पूर्व तीसरे मोर्चे के दिव्यास्त्र की उम्मीद की जा रही थी किंतु वह अब तक तो प्रकट हो नहीं सका है।

प्रारंभ में केसीआर  गैर-कांग्रेस और गैर-भाजपा मोर्चा बनाने की वकालत तो करते रहे, किंतु I.N.D.I. गठबंधन की पटना की बैठक ने उनके मूल सिद्धांतों का मूलोच्छेदन कर दिया। I.N.D.I. गठबंधन की कवायद में तीसरा मोर्चा बनने से पहले ही समाप्त हो गया और खुद I.N.D.I. गठबंधन के भी सभी बंधन खुल गए हैं।

आम आदमी पार्टी सिर्फ अपने सियासी मुनाफे के गठबंधन तलाश रही है, तृणमूल अलग हो चुकी है, डीएमके, वाम मोर्चा दक्षिण में कांग्रेस को बहुत अधिक स्थान देने तैयार नहीं हैं। यहां तक कि वाम मोर्चे ने तो वायनाड में राहुल गांधी के विरुद्ध डी.राजा की पत्नी एनी राजा को उतार ही दिया है। कर्नाटक में कांग्रेस अपने बल बूते पर  मैदान में उतर रही है।

दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी कांग्रेस को भाव नहीं दे रही है। उत्तरप्रदेश में अवश्य अखिलेश और राहुल ने ना ना करते आखिर हाथ मिला लिये हैं। तीसरे मोर्चे के रूप में अलग अलग राज्यों में क्षेत्रीय दल और उत्तरप्रदेश,पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश व राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी ही मैदान में नजर आ रही है। सियासी जानकार मान रहे हैं कि ‘बसपा’ का स्वतंत्र प्रवाह कांग्रेस-सपा के कथित गठबंधन की राह का रोड़ा ही बनेगा। असम में उड़ीसा में पटनायक का भाजपा के प्रति झुकाव साफ दिखाई देता है।

लोकसभा-24 के कुरुक्षेत्र में पाञ्चजन्य का गंभीर नाद गूंज उठा है। राम और राष्ट्र लहर की हिलोरों से आबद्ध समर-सिंधु में दोनों पक्ष जुट गए हैं। इनमें से कौन कौरव और पांडव कौन, ये तो मतदाता को तय करना है, किंतु एक बात स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रही है, एक पक्ष ‘राम’रथ पर सवार है, उसे सर्वमान्य नेता का नेतृत्व प्राप्त है, जबकि दूसरे पक्ष के रथियों के लिए कहा जा रहा है कि ‘आगें नाथ न पीछें पगहा’….! वस्तुतः काडरबेस संगठन की चतुरंगिणी भाजपा सेना से जूझने सन्नध विपक्ष आपसी मतांतरों से ही जूझता अधिक नज़र आ रहा है।

संप्रतिः रामचरित मानस में तुलसी बाबा कह गए हैं,

जहां सुमति तहं तंपति नाना, जहां कुमति तहं बिपति निदाना।

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