नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को साफ साफ कह दिया कि आने वाले चुनाव में भाजपा सरकार भी बनाएगी और सीएए भी लागू होगा। उन्होंने कहा है कि वह दिन दूर नहीं जब पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार बनेगी और बंगाल में होने वाली घुसपैठ पर रोक लगेगी।एक इंटरव्यू में अमित शाह ने सीएए की अधिसूचना पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, वह दिन दूर नहीं जब बीजेपी पश्चिम बंगाल की सत्ता में आएगी और घुसपैठ रोकेगी। आप इतने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर तुष्टीकरण की राजनीति कर रही हैं। इससे घुसपैठ की अनुमति मिलेगी। हम इसका विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप शरणार्थियों को नागरिकता नहीं देते हैं तो यह तुष्टिकरण होगा। लोग आपका साथ नहीं देंगे। अमित शाह ने कहा, सीएए कानून कभी वापस नहीं लिया जाएगा। हमारे देश में भारतीय नागरिकता सुनिश्चित करना ये भारत का विषय है और भारत की संप्रभुता का निर्णय है, हम इससे कभी समझौता नहीं करेंगे।
सीएए की अधिसूचना की टाइमिंग पर विपक्ष द्वारा सवाल उठाए जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, सारे विपक्षी दल, चाहे असदुद्दीन ओवैसी हों, राहुल गांधी, ममता बनर्जी हों या केजरीवाल हों ये लोग झूठ की राजनीति कर रहे हैं इसलिए टाइमिंग का महत्व नहीं है। भाजपा ने 2019 में अपने घोषणापत्र में कहा था कि हम सीएए लाएंगे और अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता देंगे। 2019 में ही यह बिल संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया था। कोरोना के कारण थोड़ी देर हुई। विपक्ष तुष्टिकरण की राजनीति कर वोट बैंक को मजबूत करना चाहते हैं। वे बेनकाब हो चुके हैं और देश की जनता जानती है कि सीएए इस देश का कानून है। मैं 4 साल में कम से कम मैं 41 बार बोल चुका हूं कि सीएए लागू होगा और चुनाव से पहले होगा ।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि सीएए राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से जुड़ा हुआ है, इसलिए वह इसका विरोध कर रही हैं। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि वह असम जैसे हिरासत केंद्र (डिटेंशन कैंप) पश्चिम बंगाल में नहीं चाहती हैं। ममता बनर्जी ने यह भी दावा किया कि सीएए लोकसभा चुनाव से पहले एक राजनीतिक चाल है।
शाह ने केजरीवाल को सुनाई खरी खरी, रोहिंग्याओं पर दागे सवाल
शाह ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अपने भ्रष्टाचार के उजागर होने से अपना आपा खो बैठे हैं। शाह ने पूछा कि दिल्ली के सीएम रोहिंग्या का विरोध क्यों नहीं करते हैं। उन्होंने केजरीवाल को शरणार्थी परिवारों से मिलने की नसीहत भी दी। एक दिन पहले अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि सीएए की वजह 1947 से भी बड़ा माइग्रेशन होगा और पता नहीं कैसे लोग आएंगे। केजरीवाल ने आशंका जताई कि इन लोगों के आने से देश में चोरी और रेप जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं।
शाह ने केजरीवाल के सवाल पर कहा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अपने भ्रष्टाचार के उजागर होने से अपना आपा खो बैठे हैं। उन्हें मालूम नहीं है कि सारे लोग आ चुके हैं। आज भारत में ही रहे हैं। सिर्फ उन्हें अधिकार नहीं मिला है उन्हें अधिकार देने की बात है। 2014 तक जो आ गए उनके नागरिकता देना है। इतनी ही चिंता है तो वो क्यों बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात नहीं करते, रोहिंग्या का विरोध क्यों नहीं करते, क्योंकि वो वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। दिल्ली के चुनाव उनके लिए लोहे के चने चबाने जैसे हैं। इसलिए वोट बैंक की पॉलिटिक्स कर रहे हैं। नौकरी का कहां सवाल हैं, वे पहले से यहां है। क्या बांग्लादेश और रोहिंग्या नौकरी का अधिकार नहीं मार रहे हैं। सिर्फ जो हिंदू, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी शरणार्थी का विरोध कर रहे हैं।शाह ने कहा कि केजरीवाल विभाजन के बैकग्राउंड को भूल गए हैं। उन्होंने सलाह दी कि जो रिफ्यूजी आए थे उनके परिवार के साथ चाय पीनी चाहिए। उन्होंने कहा, जो शरणार्थी बनकर आए थे दिल्ली के बाजारों में सब्जियों की दुकान लगाई थी। मोदी जी ने विभाजन की विभीषिका का दिन मनाकर उसको इतिहास का हिस्सा बनाया। इन लोगों के मन में संवेदना नहीं है।