नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बड़ा कदम उठाकर मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू करने की घोषणा की। यह विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले आया है। सीएए लागू होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि आवेदन पूरी तरह से ऑनलाइन मोड में होगा जिसके लिए एक वेब पोर्टल उपलब्ध कराया गया है। गृह मंत्रालय ने बताया कि सीएए-2019 के तहत नागरिकता का आवेदन करने वालों के लिए सरकार पोर्टल के अलावा मोबाइल एप सीएए-2019’ भी शुरू करेगी। इतना हीं नहीं मोदी सरकार ने आवेदन करने के लिए जिन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होगी उसकी भी लिस्ट जारी की है।

आवदेन के लिए ये अहम दस्तावेंज जरुरी 

  • अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी पासपोर्ट की कॉपी।
  • भारत में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (एफआरआरओ) या विदेशी पंजीकरण अधिकारी (एफआरओ) द्वारा जारी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट या रेजिडेंशियल परमिट, अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान में सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र।
  • अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान में स्कूल या कॉलेज या बोर्ड या विश्वविद्यालय प्राधिकारियों द्वारा जारी स्कूल सर्टिफिकेट या एजुकेशनल सर्टिफिकेट।
  • अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान सरकार या इन देशों में किसी अन्य सरकारी प्राधिकरण या सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी किसी भी प्रकार का पहचान दस्तावेज।
  • अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के सरकारी प्राधिकारी द्वारा जारी कोई भी लाइसेंस या सर्टिफिकेट।
    अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान में भूमि या किरायेदारी रिकॉर्ड।
  • कोई भी दस्तावेज जो दर्शाता है कि आवेदक के माता-पिता या दादा-दादी या परदादा में से कोई एक तीन देशों, यानी अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान में से किसी एक का नागरिक है या रहा है।
  • अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान में किसी सरकारी प्राधिकरण या सरकारी एजेंसी द्वारा जारी किया गया कोई अन्य दस्तावेज जो यह स्थापित करेगा कि आवेदक अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान से है।

इन्हें मिलेगी भारत की नागरिकता

मोदी सरकार ने सोमवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम,2019 लागू करने की घोषणा की है। इसमें बगैर किसी डॉक्यूमेंट्स के तीन मुस्लिम बहुल देशों, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों को नागरिकता मिलेगी। नागरिकता देने का अधिकार केंद्र के हाथ में होगा। यह नागरिकता 31 दिसंबर,2014 तक इन देशों से भारत आए गैर-मुस्लिम विस्थापितों को दी जाएगी।

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