देहरादून। उत्तराखंड के देहरादून में सर्वे ऑफ इंडिया के कैंपस में 3 चमत्कारी घड़ियां पिछले 150 सालों से गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत पर चल रही हैं। ये घड़ियां हर 15 मिनट बाद अलार्म बजाती हैं। ये घड़ियां न तो लाइट से चलती हैं और न ही इसमें बैटरी या सेल लगा है। महान वैज्ञानिक जेम्स पल्लाडियो की स्मृति में सर्वे ऑफ इंडिया भवन में इन्हें लगवाया गया था। इनमें चाबी भरनी पड़ती है और पेंडुलम की मदद से ये घड़ियां सही समय बताती हैं। एक समय इन घड़ियों की आवाज देहरादून के राजपूर तक जाती थी। उस वक्त पलटन बाजार के घंटाघर का निर्माण नहीं हुआ था। तब सर्वे ऑफ इंडिया की इन्हीं घड़ियों की गूंज से लोग समय का अनुमान लगाते थे। सर्वे ऑफ़ इंडिया म्यूजियम के इंचार्ज अरुण कुमार ने बताया कि इस बिल्डिंग में ही संपूर्ण भारत में नियमित गुरुत्वाकर्षण परीक्षण किए जाने की योजना बनी थी। इसकी जिम्मेदारी वैज्ञानिक जेम्स पल्लाडियो बसेवी को दी गई।

 

जेम्स पल्लाडियो बसेवी एक महान वैज्ञानिक थे, जो गुरुत्वाकर्षण पर रिसर्च कर रहे थे। उन्होंने पेंडुलम के माध्यम से गुरुत्वाकर्षण की रिसर्च करना शुरू किया, लेकिन  रिसर्च के दौरान ही कश्मीर में उनकी मौत हो गई। उनकी याद में कुछ वैज्ञानिकों ने 2 हजार रुपये इकट्ठा करके इन घड़ियों को लगवाया। ये तीन अलग-अलग घड़ियां हैं लेकिन तीनों आपस में एक ही मशीन से कनेक्ट हैं इसलिए तीनों एक जैसा समय और एक साथ अलार्म बजाती हैं। 150 साल पुरानी ये घड़ियां आम घड़ियों से बहुत अलग हैं क्योंकि इनमें मशीनरी बहुत बड़ी है जो काफी ज्यादा स्पेस घेरती है। यह पेंडुलम और वजन के संतुलन पर काम करती है। इन घड़ियों में हफ्ते में दो दिन चाबी भरी जाती है। इन तीन घड़ियों में तीन चाबियां हैं लेकिन ये तीनों घड़ियां एक साथ कनेक्टेड है। एक चाबी घड़ी के समय, दूसरी चाबी हर 15 मिनट में अलार्म बजाने तीसरी चाबी घड़ी एक घंटे में अलार्म बजाने के लिए भरी जाती है। चाबियां वजन को ऊपर ले जाती हैं और जैसे-जैसे वजन नीचे आता है वैसे-वैसे घड़ियों में सुईं और पेंडुलम चलते हैं। इसी तरह से ये घड़ियां पिछले 150 सालों से चल रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *