भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य सरकारों द्वारा एक ही संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के भीतर निकटवर्ती जिलों में अधिकारियों के स्थानांतरण के मामलों को गंभीरता से लिया है। आयोग ने स्थानांतरित अधिकारियों को निष्पक्ष चुनाव को उसी लोकसभा क्षेत्र के किसी भी जिले में तैनात नहीं करने संबंधी निर्देश जारी किये हैं।

मौजूदा त्रुटियों को दूर करते हुए आयोग ने निर्देश दिया है कि दो संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों वाले राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को छोड़कर सभी राज्य सुनिश्चित करें कि जिन अधिकारियों को जिले से बाहर स्थानांतरित किया गया है, उन्हें उसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में पदस्थापना नहीं की जाए।

आयोग की स्थानांतरण नीति का अक्षरश: पालन किया जाना चाहिए। वास्तविकता को छिपाया नहीं जाये। यह नियम उन तबादलों और पोस्टिंग पर पहले की तरह लागू होता है जिन्हें आयोग के पूर्व निर्देशों के अनुसार पहले ही लागू किया जा चुका है।

ईसीआई नीति के अनुसार, उन सभी अधिकारियों को स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया है जो या तो अपने गृह जिले में तैनात थे या एक स्थान पर तीन साल पूरे कर चुके हैं। इसमें वे अधिकारी भी शामिल हैं जो चुनाव कार्य में सीधे या पर्यवेक्षक की है भूमिका में जुड़े हैं।

चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार से ख़लल डालने वाले के ख़िलाफ़, आयोग ने जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है। ग़ौरतलब है कि इसी के तहत, हाल ही में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में, आयोग ने विभिन्न अधिकारियों, यहाँ तक कि उन राज्यों के वरिष्ठ स्तर के पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण का आदेश दिया था।

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