नई दिल्ली : देश का अन्नदाता अपनी मांगों को लेकर बार बार सरकार से गुहार लगा रहा है। लेकिन न तो सरकार एमएसपी को लेकर कानून बना रही है और न कर्ज माफ कर रही है। मतलब साफ है कि सरकार किसानों की समस्याओं की अनदेखी कर रही है। यही वजह है कि नाराज किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं और हजारों के संख्या में ट्रैक्टर कर तैयार कर लिए हैं।पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई किसान संगठनों ने दिल्ली दरबार की तैयारी की है। एहतियातन पंजाब और हरियाणा बॉर्डर पर चौकसी बढ़ा दी गई है। हरियाणा में धारा 144 लगाई गई है। इसके अलावा राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर भी सुरक्षाबलों की तैनाती के साथ ही कटीले तार लगा दिए गए हैं। जानकारी के मुताबिक किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्ति किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के किसान पंजाब के अलग-अलग इलाकों से कूच करेंगे और फतेहगढ़ साहिब पहुंचने का प्लान है। ये किसान अपनी 12 मांगें लेकर सरकार का घेराव करना चाहते हैं। किसान मजदूर मोर्चा के संयोजक सरवन सिंह पंढेर ने कहा, पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से हजारों ट्रैक्टर निकलेंगे। सड़क के किनारे ही रात में किसान सोएंगे। वहीं सरकार के साथ चर्चा का परिणाम निर्धारित करेगा कि आगे क्या करना है। उन्होंने कहा कि 1000 ट्रैक्टर उत्तर प्रदेश से आ रहे हैं। इसके अलावा राजस्थान और हरियाणा से भी किसान कूच करेंगे। बता दें कि केंद्र सरकार ने सरवन सिंह पंढेर को बातचीत के लिए सीधा न्योता भेजा है। उनके अलावा भाकियू (एकता सिधूपुर) के अध्यक्ष जगजीत सिंह डल्लेवाल को भी बुलाया गया है। सोमवार को शाम 5 बजे चंडीगढ़ में दूसरे चरण की बैठक होनी है। इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय शामिल रहेंगे। जगजीत डल्लेवाल ने कहा, कुल 26 लोग इस बैठक में हिस्सा लेंगे। वहीं पंढेर ने कहा, हम बहुत ही शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करेंगे। हमने किसानों से कहा है कि वे शांत रहेंगे। लेकिन हरियाणा सरकार जिस तरह का व्यवहार कर रही है उससे किसान परेशान हो रहे हैं।
ये रहीं किसानों की 12 प्रमुख मांगे
1- किसानों की पहली मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर कानून बनाया जाए जोकि डॉ. स्वामिनाथन कमीशन की रिपोर्ट पर आधारित हो।
2- किसान और मजदूरों का पूरा कर्ज माफ किया जाए।
3- लखीमपुर खीरी कांड के आरोपियों को सजा मिले और किसानों को न्याय दिया जाए।
4- भूमि अधिग्रहण विधेयक 2013 में बदलाव किया जाए जिसमें किसानों की लिखित सहमति और कलेक्टर रेट से चार गुना मुआवजा का प्रावधान किया जाए।
5- किसानों और मजदूरों को पेंशन दी जाए।
6- विश्व व्यापार संगठन से दूरी बनाई जाए और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को प्रतिबंधित कर दिया जाए।
7- दिल्ली आंदोलन के समय मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए।
8- एक साल में कम से कम 200 दिन रोजगार की गारंटी दी जाए और मनरेगा के तहत 700 रुपये दिहाड़ी दी जाए।
9- विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को खत्म कर दिया जाए।
10- मिर्च, हल्दी और अन्य मसालों को लेकर एक राष्ट्रीय स्तर का आयोग बनाया जाए।
11- खऱाब बीज, पेस्टिसाइड और उर्वरक बनाने वाली कंपनियों पर जुर्माना लगाया जाए और बीज की गुणवत्ता में सुधार किया जाए।
12-कंपनियों को आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करने से रोका जाए। जल जंगल और जमीन के अधिकार को सुनिश्चित किया जाए।