संवैधानिक पद नहीं,फिर भी देश में हैं रिकॉर्ड 26 डिप्टी सीएम
देश में राजनेताओं की राजनैतिक सुख भोगने लालसा का स्तर कितना विकराल होता जा रहा है इसका ही कारण है कि सभी नेता बड़े से बड़े पद को पाना चाहते है। वैसे तो सभी पार्टियों के नेता स्वयं को एक साधारण कार्यकर्ता बताते हैं लेकिन कोई भी सिर्फ कार्यकर्ता बने रहना नहीं चाहता है. उसे तो पॉवर वाली पोजीशन ही चाहिए उसकी इसी भूख और आत्मसंतुष्टि के लिए और केवल सत्ता में बने रहने के लिए ये राजनैतिक पार्टियां भी संविधान को दर-किनार करते हुए राज्यों में कहीं एक ,कहीं दो -दो और एक राज्य में तो 5 डिप्टी सीएम बना चुकीं है। लेकिन जनता मूक दर्शक बनी हुई है। उसे इसका विरोध करना चाहिए क्योंकि इन असंवैधानिक नियुक्तियों के कारण राज्यों पर अतिरिक्त खर्च का बोझा बढ़ता ही जा रहा है और इसकी भरपाई आखिरकार जनता पर मनमाने टैक्स बड़ा कर ही की जाती है। इसलिए ऐसी व्यवस्थाओं का विरोध करें।
इस समय सात राज्यों में रिकॉर्ड 26 डिप्टी सीएम पद पर हैं. दिलचस्प यह है कि इस पोस्ट के लिए कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है. यह राजनीति में सहयोगियों को संतुष्ट करने या कहें कि शांत कराने और समूह या गठबंधन को एकजुट रखने के राजनीतिक टूल की तरह उभरकर सामने आया है. अभी का ताज़ा घटनाक्रम तो सभी को पता होना चाहिए बिहार में पहले नीतीश कुमार का इस्तीफा और पार्टी बदलकर दुबारा मुख्यमंत्री बनना साथ में दो डिप्टी सीएम की भी नियुक्ति होना. जी हां, बिहार को सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा के रूप में दो डिप्टी सीएम मिले हैं. इसके साथ ही देश में डिप्टी सीएम का रिकॉर्ड भी बन गया है
वैसे, उप मुख्यमंत्री भी मंत्री के रूप में ही शपथ लेते हैं, लेकिन वे पद के क्रम में उच्च दर्जा रखते हैं. समायोजन और राजनीतिक प्रबंधन के अलावा विशेषज्ञ इसे सामाजिक आंदोलनों के बाद एक तरह की जागरूकता मानते हैं, जो विविधता को दर्शाता है.
आंध्र प्रदेश इस से भी काफी आगे है वहां पांच डिप्टी सीएम हैं !
इस लिस्ट में आंध्र प्रदेश काफी आगे है. वहां पांच डिप्टी सीएम हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मेघालय, नगालैंड में दो-दो उप मुख्यमंत्री हैं. हरियाणा, कर्नाटक, हिमाचल, तेलंगाना और अरुणाचल प्रदेश में एक-एक उपमुख्यमंत्री हैं. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक JDU के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि वैसे यह एक विरोधाभास है लेकिन संवैधानिक वैधता हमेशा एक आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा, ‘ये समायोजन और प्रबंधन का दौर है. यह हमारे समाज और इसकी विविधता को भी दिखाता है. पहले लोग इतने जागरूक नहीं थे, लेकिन सामाजिक न्याय आंदोलन ने एक जागरूकता पैदा की है और अब हर कोई अपना प्रतिनिधित्व चाहता है.
पहले डिप्टी पीएम कौन थे !
उप- प्रधानमंत्री पद के लिए भी कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि भारत में आजादी के बाद से ऐसे सात उदाहरण मौजूद हैं. सबसे पहले सरदार वल्लभभाई पटेल थे. मोराजी देसाई (चौथे प्रधानमंत्री) भी दूसरे उप प्रधानमंत्री थे. दिलचस्प बात यह है कि देवीलाल ने 1989-1991 के दौरान दो प्रधानमंत्रियों के डिप्टी के तौर पर काम किया लेकिन उन्होंने शपथ मंत्री के रूप में नहीं बल्कि ‘उप प्रधानमंत्री’ के रूप में काम करने की ली थी. JNU में राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाले अमिताभ सिंह ने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ से कहा कि डिप्टी होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब इसे मुख्यधारा में लाया गया है, खासकर भाजपा द्वारा. 26 उप-मुख्यमंत्रियों में से 13 भाजपा के, दो भाजपा सहयोगियों के, पांच वाईएसआर कांग्रेस के और तीन कांग्रेस के हैं