-कल होगी केस में सुनवाई, या‎चिका पर तत्काल सुनवाई के ‎लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत

नई दिल्ली । बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों में से तीन ने सुप्रीम कोर्ट से सरेंडर करने समयाव‎धि बढ़ाने का अनुरोध ‎किया है। हालां‎कि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी या‎चिका को सूचीबद्ध कर ‎‎लिया है, ‎जिसकी सुवाई कल 19 जनवरी को होगी। ‎मिली जानकारी के अनुसार तीनों दोषियों ने जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। दोषियों के वकील द्वारा तत्काल सुनवाई के लिए उनकी याचिका का उल्लेख करने के बाद सुप्रीम कोर्ट उनकी याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमत हुआ। बता दें ‎कि उनके आत्मसमर्पण करने का समय 21 जनवरी को समाप्त हो रहा है। कोर्ट से गोविंद नाई ने 4 सप्ताह, जबकि मितेश भट्ट और रमेश चांदना ने 6 सप्ताह की मोहलत मांगी है। इन तीनों ही दोषियों ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है। गौरतलब है ‎कि 8 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को बरी करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। गुरुवार को न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन आवेदनों को सुनवाई के लिए 19 जनवरी को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह भारत के मुख्य न्यायाधीश से एक विशेष पीठ गठित करने के निर्देश प्राप्त करें, जिसमें वह और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां शामिल हों, जिसने पहले गुजरात सरकार द्वारा द‍िए गए छूट के आदेश को रद्द कर दिया था और दोषियों को 21 जनवरी तक जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था।

अपने आवेदन में, एक दोषी ने अनुरोध किया कि उसके 88 वर्षीय बिस्तर पर पड़े पिता पूरी तरह से उस पर निर्भर हैं और उसकी 75 वर्षीय मां का स्वास्थ्य भी खराब है।उन्हें भी बवासीर का ऑपरेशन कराना है। इन कठिनाइयों के मद्देनजर और न्याय के हित में, प्रतिवादी को आत्मसमर्पण करने के लिए चार सप्ताह बढ़ाया जाना चाहिए। एक अन्य दोषी मितेश चिमनलाल भट्ट ने कहा कि वह लगभग 62 साल के हैं और उन्‍होंने मोतियाबिंद के लिए आंख की सर्जरी कराई है। चूंकि आवेदक द्वारा उत्पादित शीतकालीन फसलें कटाई और अन्य प्रक्रियाओं के लिए तैयार हैं, इसलिए आवेदक को 5 से 6 सप्ताह की आवश्यकता है। एक अन्य आवेदन में आत्मसमर्पण के लिए समय अवधि चार सप्ताह बढ़ाने की मांग करते हुए कहा गया है कि आवेदक का छोटा बेटा विवाह योग्य उम्र का है और वह यह जिम्मेदारी पूरा करना चाहते हैं।

दरअसल साल 2002 में गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था। इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे। इन दंगों की चपेट में बिलकिस बानो का परिवार भी आ गया ‎था। उस दौरान मार्च 2002 में भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया था। ‎बिकिस बानो उस समय 21 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती भी थी। इस दौरान भीड़ ने उसकी तीन साल की बेटी सहित उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी थी जबकि बाकी छह लोग वहां से भाग गए थे। इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने 11 लोगों को दोषी ठहराया था।

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