नई दिल्ली : अक्सर अपने महसूस किया होगा कि जब आपके पास पैसों की कमी होती है, तब आप तनाव महसूस करने लगते हैं। ऐसा अधिकतर लोगों के साथ होता है। आज के जमाने में महंगाई लगातार बढ़ रही है और इसका असर लोगों की हेल्थ पर भी दिखने लगा है। साल 2022 के सर्वे में खुलासा हुआ था कि अमेरिका में 90 प्रतिशत लोग महंगाई की वजह से एंजाइटी का शिकार हो रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि कोविड की वजह से लोगों को जितना तनाव नहीं हुआ, उससे कहीं ज्यादा महंगाई बढ़ने से हुआ। यह महंगाई की वजह से अमेरिकियों का ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के लोगों का तनाव बढ़ रहा है। सेहत के लिए महंगाई बेहद खतरनाक साबित हो रही है। एक सर्वे किया था, जिसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आई थीं। सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार महंगाई की वजह से करीब 90 फीसदी लोग तनाव और एंजाइटी का शिकार हो रहे हैं। लगातार यह समस्या बढ़ती ही जा रही है। चिंता की बात यह है कि लोगों को कोविड-19 को लेकर जितना तनाव था, उससे कहीं ज्यादा इस महामारी के बाद बढ़ती महंगाई से है। अमेरिका में 90 प्रतिशत लोग महंगाई से संबंधित एंजाइटी से जूझ रहे हैं। आमदनी घटने से भी लोगों का स्ट्रेस लेवल बढ़ने लगता है। अब तक कई रिसर्च में यह बात सामने आई हैं कि जब किसी व्यक्ति के पास पैसों की कमी होती है, तब वह तनाव में आ जाता है। लंबे समय तक यह समस्या रहे, तब एंजाइटी और डिप्रेशन में बदल सकती है। अमेरिकी सर्वे की मानें तब बढ़ती महंगाई और घटती इनकम मेंटल हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। आमदनी और खर्च का मेंटल हेल्थ पर सीधा कनेक्शन होता है। लंबे समय तक तनाव और चिंता मेंटल डिजीज की वजह बन सकती है। आर्थिक तंगी निराशा का कारण बन सकती है और कई लोगों के लिए यह मनोवैज्ञानिक संकट पैदा कर सकती है।