मंजूरी मिलने के बाद देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर हुए थे प्रदर्शन…
नागरिकता संशोधन कानून यानि कि सीएए पर जल्द ही बड़ा फैसला किया जा सकता है। सरकार से जुड़े एक अधिकारी ने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव से पहले ही इसकी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी. असल में गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही सरकार सीएए के लिए नियमावली जारी कर देगी. अगर ऐसा हुआ तो सीएए को लेकर चले आ रहे संशय का पटाक्षेप हो जाएगा. क्योंकि ऐसे अनुमान लगाए जा रहे थे कि ये क़ानून चुनाव से पहले आएगा या बाद में आएगा. अगर ऐसा हुआ तो सीएए के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान की जाएगी. ये वे लोग होंगे जो 31 दिसंबर से पहले भारत आ गए थे.
दरसअल, गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही सरकार सीएए के लिए नियमावली जारी कर देगी. यह सरकार की तरफ कदम माना जा रहा है. बीते काफी दिनों से इसको लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी रहा है. अभी पिछले ही दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है. इतना ही नहीं उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का इल्जाम लगाया था.
अमित शाह ने यह भी कहा था कि मैं यह साफ तौर से कहना चाहता हूं कि सीएए देश का कानून है और कोई भी इसके कार्यान्वयन को रोक नहीं सकता है. यह यह हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है. इससे पहले भी अमित शाह ने विपक्षी पार्टियों पर इस क़ानून को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया था. बता दें कि इस कानून के मूल में यह है कि भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है।
नागरिकता संशोधन कानून 2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया है. पहले किसी को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था. इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है यानी इन तीनों देशों के ऊपर उल्लिखित छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी.