अमरावती/श्रीहरिकोटा । चंद्रयान-3 के बाद इसरो ने एक बार फिर इतिहास रचने में कामयाबी हासिल की है। नए साल के पहले दिन एक्स-रे पोलरीमीटर सैटेलाइट सफलता पूर्वक लांच किया है। ये सैटेलाइट ब्लैक होल के रहस्य खोलेगा जिससे भविष्य में अतंरिक्ष संबंधी शोध करना आसान हो जाएगा। ब्लैक होल्स की स्टडी के मामले में यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का दूसरा देश बन गया है। एक्सपो सेट अंतरिक्ष की यात्रा कर ब्लैक होल जैसी खगोलीय रचनाओं के रहस्यों से पर्दा उठाएगा। अक्टूबर में गगनयान परीक्षण यान डी1 मिशन की सफलता के बाद यह प्रक्षेपण किया जा रहा है। इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच वर्ष का होगा। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)-सी58 रॉकेट अपने 60वें अभियान पर प्रमुख पेलोड एक्सपोसैट और 10 अन्य उपग्रह लेकर जाएगा जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा।
जानकारों का कहना है कि एक्सपो सेट की लॉन्चिंग इस बात के साफ संकेत हैं कि भारत ऐसे मिशनों का शुरुआत के लिए तैयार है, जिनके बारे में जानकारियां ज्यादा उपलब्ध नहीं हैं। कहा जा रहा है यह मिशन अंतरिक्ष में खोज के भारत के प्रयासों, शोध और विकास को बढ़ाने के लिए बड़ा मंच प्रदान करेगा। एक्सपो सेट एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ब्लैक होल की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा। इसरो के अनुसार, यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है। इसरो के अलावा यूएस की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों, ब्लैक होल से निकलने वाली कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं का ऐसा ही अध्ययन किया था।