– वर्ष के अंत तक भारत की जीडीपी 312 लाख करोड़ रुपये से अधिक संभावित
नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर देश में राजनीतिक रस्सा-कशी का दौर शुरू हो गया है। इस सिलसिले में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के आरोपों पर खुलकर बात की है। पीएम मोदी ने कहा है कि कोविड-19 के वैश्विक संकट और विश्व स्तर पर आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है। अपने दावे के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के कार्यों को आंकड़ों में प्रस्तुत किया जिसमें पिछली सरकारों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन के संकेत हैं।
एक साक्षात्कार में पीएम मोदी ने बताया कि सदी में एक बार आने वाली महामारी के दो वर्षों और वैश्विक टकरावों से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला तहस-नहस हो जाने के बावजूद भारत ने वांछित लचीलापन दिखाया है। उन्होंने कहा कि भारी मुश्किलों, वैश्विक संकटों, सप्लाई चेन के टूटने और भू-राजनैतिक तनावों का दुनियाभर में कीमतों पर असर पड़ा। इसके बावजूद साल 2014-15 और 2023-24 के बीच औसत मुद्रास्फीति मात्र 5.1 फीसदी थी, जबकि इससे पहले के 10 वर्षों (2004-14) के दौरान यह 8.2 फीसदी थी।
देश में बेरोजगारी कम करने के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा,कि रोजगार सृजन सरकार की शीर्ष प्राथमिकता रही है। हमारे सभी प्रयास इसी दिशा में हैं। सब जानते हैं कि बुनियादी ढांचे में निवेश का वृद्धि और रोजगार पर कई प्रकार से असर पड़ता है। इसलिए हमने पूंजी निवेश पर खर्च लगातार बढ़ाया है।” पीएम ने कहा, “मैं जब कुछ शुरू करता हूं तो मुझे आखिरी बिंदु पता होता है, लेकिन मैं कभी ब्लूप्रिंट का ऐलान नहीं करता। मैं बड़े कैनवास पर काम करता हूं।”
पीएम ने कहा कि साल 2023-24 के बजट में पूंजी निवेश बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया, जबकि 2013-14 में ये 1.9 लाख करोड़ रुपये था, मेरा मानना है कि जनता को बताना चाहिए कि ये खर्च कैसे उत्पादक है और कैसे आम आदमी के लिए अधिकतम अवसर पैदा करते हैं।
भारत की अर्थव्यवस्था इस समय तेज गति से आगे बढ़ रही है। भारत साल 2023 में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में बना रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आने वाले वर्षों के लिए 5 ट्रिलियन इकोनॉमी का लक्ष्य रखा है। उन्होंने अपने इस लक्ष्य को विस्तार से समझाया है। इकोनॉमी से जुड़े सवाल पर पीएम ने कहा कि हमारा ट्रैक-रिकॉर्ड खुद-ब-खुद इसकी गारंटी लेता है।
पीएम मोदी ने कहा कि जब साल 2001 में मैं गुजरात का मुख्यमंत्री बना तो उसकी अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 26 अरब डॉलर (2.17 लाख करोड़ रुपये) था। जब प्रधानमंत्री बनने के लिए मैंने गुजरात छोड़ा, तब गुजरात की अर्थव्यवस्था का आकार बढ़कर 133.5 अरब डॉलर (11.1 लाख करोड़ रुपये) हो गया था और जो कई नीतियां और सुधार किए गए, उनके परिणामस्वरूप आज गुजरात की अर्थव्यवस्था लगभग 260 अरब डॉलर (21.6 लाख करोड़ रुपये) की हो गई है। इसके बाद राष्ट्रपति के आंकड़ों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, जब साल 2014 में मैं प्रधानमंत्री बना, तो भारत की अर्थव्यवस्था 20 खरब डॉलर (167 लाख करोड़ रुपये) की थी और साल 2023-24 के अंत में भारत की जीडीपी 37.5 खरब डॉलर (312 लाख करोड़ रुपये) से अधिक होगी। 23 वर्ष का यह ट्रैक रिकॉर्ड दिखाता है कि यह रियलिस्टिक टारगेट है।