अयोध्या में अगले महीने होने जा रहे राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए पिछले हफ्ते कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी नेता सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी (लोकसभा में कांग्रेस के नेता) को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक प्रतिनिधिमंडल से निमंत्रण मिला था. यह पूछे जाने पर कि क्या नेता समारोह में शामिल होंगे, एआईसीसी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि, ‘ये आपको 22 जनवरी को पता चल जाएगा कि कौन भाग ले रहा है. उन्होंने हमें आमंत्रित किया गया है और इसके लिए हम आभारी हैं. निमंत्रण के प्रति कांग्रेस के गैर-प्रतिबद्ध रुख की केरल के एक प्रमुख मुस्लिम संगठन ने आलोचना की है. यह संगठन कांग्रेस की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के काफी करीब माना जाता है.

समस्त केरल जमीयथुल उलमा (समस्था) नाम के इस संगठन ने अपने मुखपत्र सुप्रभातम के एक संपादकीय में बुधवार को कहा, “कांग्रेस समारोह में भाग ले सकती है, इसकी बड़ी वजह केवल उत्तर भारत में हिंदू वोटों के छिंटकने का डर है. यह कांग्रेस का नरम हिंदुत्व दृष्टिकोण है जिसने 36 वर्षों तक देश पर शासन करने वाली पार्टी को इस वर्तमान स्थिति में पहुंचा दिया है.”

समस्था ने आगे कहा है कि अगर कांग्रेस अपने रुख की समीक्षा नहीं करती है, तो भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों में भी सत्ता बरकरार रखेगी, जबकि स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस इतिहास की किताबों में सिमट कर रह जाएगी।

 

सहयोगी दल ने भी किया कांग्रेस को आगाह

वहीं, इस मौके का फायदा उठाते हुए राज्य में सीपीआई (एम) भी आईयूएमएल को लुभाने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस के पास संघ परिवार से लड़ने के लिए वैचारिक प्रतिबद्धता नहीं है. आईयूएमएल, जिसने अब तक इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी थी, ने बुधवार को कांग्रेस को “भाजपा के जाल” के खिलाफ चेतावनी दी. आईयूएमएल के राज्य महासचिव पी. एम. ए. सलाम ने कहा, “हर चुनाव से पहले, सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काना भाजपा की आदत रही है. पिछले दिनों सांप्रदायिक हिंसा हुई है. अब भी, सांप्रदायिक एजेंडे का फायदा उठाना भाजपा की रणनीति है. किसी को भी उस जाल में नहीं फंसना चाहिए. यह हमारा रुख है.

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