मॉस्को।भारत और रूस ने तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की भविष्य की बिजली उत्पादन इकाइयों के निर्माण से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस के पांच दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग पर रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव के साथ व्यापक और रचनात्मक बैठक के बाद यह ऐलान किया। इस बैठक के दौरान परमाणु ऊर्जा और औषधि, फार्मास्युटिकल पदार्थ और चिकित्सीय उपकरणों के समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यहां भारतीय प्रवासी समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि मेरी और उप प्रधानमंत्री मंतुरोव की मौजूदगी में, हमने कुडनकुलम परमाणु परियोजना की भविष्य की इकाइयों से जुड़े कुछ बहुत महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। रूस की सरकारी मीडिया के अनुसार, कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र रूस की तकनीकी सहायता से तमिलनाडु में बनाया जा रहा है। इसका निर्माण मार्च 2002 में शुरू हुआ था. फरवरी 2016 के बाद से कुडनकुलन परमाणु ऊर्जा संयंत्र की पहली ऊर्जा इकाई लगातार काम कर रही है, इसकी डिजाइन क्षमता 1,000 मेगावाट की है. संयंत्र के 2027 में पूरी क्षमता के साथ काम शुरू करने की उम्मीद है। बैठक के दौरान जयशंकर ने व्यापार, वित्त, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, नागरिक उड्डयन और परमाणु क्षेत्रों में प्रगति का उल्लेख किया। भारतीय समुदाय को दिए संबोधन में उन्होंने रक्षा, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे कुछ क्षेत्रों में रूस को विशेष भागीदार बताया। उन्होंने कहा कि रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु (ऊर्जा) के क्षेत्रों में उन देशों के साथ सहयोग किया जाता है, जिनके साथ आपका उच्च स्तर का भरोसा है।

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