कराची। बलूचिस्तान के लोगों पर जुल्म और अत्याचार करना पाकिस्तानी सेना की आदत में शुमार हो गया है। जिस तरह के वीडियो वायर हो रहे हैं उन्हे देखकर कोई भी देहल जाएगा।
बलूचिस्तान की महिलाओं पर गर्म पानी फेंका जा रहा है,लोगों के फेक एनकाउंटर किए जा रहे है। जिसके कारण बलूचिस्तान के लोग हुक्मरानों के जुल्मों-सितम से तंग आ चुके हैं। इसके लिए बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हजारों की संख्या में बलूचिस्तान के लोग इस्लामाबाद पहुंच चुके हैं। इस मुद्दे पर पाकिस्तानी महिला यूट्यूबर सना अमजद ने एक बलूची शख्स से बात की। सना अमजद से बात करते हुए बलूची शख्स ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। पाकिस्तान में हाल ही में एक बलूच युवक को जबरन गायब करने और उसकी हत्या करने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे दर्जनों लोगों पर इस्लामाबाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछारें और आंसू गैस छोड़ते और बुधवार देर रात उन्हें वैन में खींचते हुए देखा जा सकता है। प्रदर्शनकारियों के लॉन्ग मार्च को भी तितर-बितर कर दिया गया।इस्लामाबाद पुलिस के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, प्रदर्शनकारियों को उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों में प्रवेश करने से रोकने के लिए ये तरीका अपनाया गया और कम से कम बलों का उपयोग किया गया। बलूची शख्स ने खुलासा करते हुए बताया कि पाकिस्तानी सेना हम पर बेइंतहा जुल्म करती है। हम काफी समय से परेशान है। आलम ये है कि वो हमारे आवाज को दबाने के लिए हमारा फेक एनकाउंटर करते हैं। इसके अलावा वो हमारी औरतों पर गर्म पानी फेंक देते हैं। हमें किसी तरह के हक नहीं दिए जाते हैं, जिसकी वजह से हमारा जीना दुश्वार हो गया है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में पाकिस्तानी सेना आए दिन लोगों को परेशान करते रहती है। बलूचिस्तान के लोग बीते कई सालों से पाकिस्तान सरकार से अलग मुल्क की मांग कर रहे हैं। वहां मौजूद खनिजों की पाकिस्तान सरकार भारी मात्रा में इस्तेमाल करती है। हालांकि, इसके बावजूद बलूचिस्तान के लोगों के लोगों को वो सुख-सुविधा नहीं देती, जिसकी वो हकदार है. बलूचिस्तान प्रांत, ईरान और अफगानिस्तान की सीमा से लगा हुआ है, जिसकी राजधानी क्वेटा है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का ऐसा पश्चिमी प्रांत है, जो लंबे समय से हिंसक विद्रोह का सामना करता रहा है। इसकी वजह से बलूच विद्रोही समूह पनप रहे हैं, और वे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) की 60 अरब डॉलर लागत वाली परियोजनाओं को निशाना बनाते रहे हैं।