एक दिन में 78 सांसद पूरे सत्र के लिए सस्पेंड – 33 लोकसभा और 45 राज्यसभा

नई दिल्ली । संसद के शीतकालीन सत्र के 11वें दिन सोमवार को दोनों सदनों से 78 सांसद सस्पेंड कर दिए गए। असल में संसद में सुरक्षा चूक के मसले पर लोकसभा में लगातार चौथे दिन हंगामा हुआ। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने 33 सांसदों को सस्पेंड कर दिया। इनमें नेता अधीर रंजन चौधरी समेत कांग्रेस के 11 सांसद, तृणमूल कांग्रेस के 9, डीएमके के 9 और 4 अन्य दलों के सांसद शामिल हैं। इसके बाद राज्यसभा में भी हंगामा हुआ। इसके चलते सभापति जगदीप धनखड़ ने 45 विपक्षी सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया। इससे पहले 14 दिसंबर को लोकसभा से 13 सांसद निलंबित किए गए थे। इनमें कांग्रेस के 9, सीपीआईएम (एम) के 2, डीएमके और सीपीआई के एक-एक सांसद थे। इनके अलावा राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन को भी 14 दिसंबर को सस्पेंड किया गया था। शीतकालीन सत्र से अब तक कुल मिलाकर 92 सांसदों को सस्पेंड किया जा चुका है। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कार्यवाही शुरू होते ही 15 मिनट की स्पीच दी। कहा कि घटना पर राजनीति होना दुर्भाग्यपूर्ण है। हंगामा बढ़ा तो सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित हो गई। बाद में यह 2 बजे और फिर कल तक के लिए स्थगित कर दी गई। सांसदों के निलंबन के बाद लोकसभा कल (मंगलवार) तक के लिए स्थगित हो गई। खडग़े बोले- मोदी सरकार संसद पर हमला कर रही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने सांसदों को निलंबन को लोकतंत्र पर हमला बताया। उन्होंने कहा- पहले घुसपैठियों ने संसद पर हमला किया। अब मोदी सरकार संसद और लोकतंत्र पर हमला कर रही है। निरंकुश मोदी सरकार में 47 सांसदों को निलंबित करके लोकतांत्रिक मानकों को डस्टबिन में फेंका जा रहा है। हमारी मांग है कि गृह मंत्री अमित शाह इस मुद्दे पर दोनों सदनों में बयान दें और इस पर चर्चा हो। 30 सांसद पूरे सत्र के लिए सस्पेंड संसद की कार्यवाही बाधित करने के लिए विपक्ष के कुल 33 सांसदों को सोमवार को सस्पेंड किया गया। इनमें से 30 सांसदों को सदन के पूरे शीतकालीन सत्र के लिए सस्पेंड किया गया है जबकि बाकी तीन के जयकुमार, विजय वसंत और अब्दुल खालिक को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक सस्पेंड किया गया है। इन तीन सांसदों पर स्पीकर के पोडियम पर चढक़र नारेबाजी करने का आरोप है। सोमवार को जिन 33 विपक्षी सांसदों को सस्पेंड किया है, उनमें टी. सुमति, कल्याण बनर्जी, ए राजा, दयानिधि मारन, अपारूपा पोद्दार, प्रसून बनर्जी, ईटी मोहम्मद बशीर, जी. सेल्वम, सीएन अन्नादुरई, अधीर रंजन चौधरी, असीत कुमार मल, कौशलेंद्र कुमार, एंटो एंटनी, एसएस पलानीमनिकम, अब्दुल खालिक, थिरुनावुक्करासर, प्रतिमा मंडल, काकोली घोष, के.मुरलीधरन, सुनील मंडल, एस. रामालिंगम, के. सुरेश, अमर सिंह, राजमोहन उन्नीथन, गौरव गोगोई, टीआर बालू, के कानी नवास, के वीरस्वामी, एनके प्रेमचंद्रन, सौगत रॉय, शताब्दी रॉय, के जयकुमार शामिल हैं। इससे पहले विपक्ष के कुल 14 सांसदों को सस्पेंड किया गया है। राज्यसभा से से सस्पेंड लोकसभा के बाद सोमवार को राज्यसभा से भी विपक्ष के 45 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया है। इन सांसदों को सभापति की बात नहीं मानने पर सस्पेंड किया गया है। इस तरह देखा जाए तो लोकसभा के सोमवार को राज्यसभा से विपक्ष के जिन सांसदों को सस्पेंड किया गया है, उनमें प्रमोद तिवारी, जयराम रमेश, अमी याग्निक, नारायण भाई राठवा, शक्ति सिंह गोहिल, रजनी पाटिल, सुखेंदु शेखर, नदिमुल हक, एन। षणमुगम, नसीर हुसैन, फुलोदेवी नेताम, इमरान प्रतापगढ़ी, रणदीप सुरजेवाला, मौसम नूर, समिरुल इस्लाम, रंजीत रंजन, कनिमोझी, फैयाज अमजद, मनोज झा, रामनाथ ठाकुर, अनिल हेगड़े, वंदना चव्हाण, रामगोपाल योदव, जावेद अली खान, जोस के मणि, महुआ मांझी और अजीत कुमार शामिल हैं। इन सांसदों को संसद के पूरे शीतकालीन सत्र के लिए सस्पेंड किया गया है जबकि 11 सांसदों को प्रिविलेज कमेटी की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित किया गया है। समिति तीन महीने के भीतर इस पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। सोमवार को राज्यसभा से 45 सांसदों पर गाज गिरी है। इससे पहले राज्यसभा से एक सांसद डेरेक ओ ब्रायन पहले ही शीतकालीन सत्र समाप्त होने तक के लिए निलंबित किए गए थे। इस तरह कुल संख्या बढक़र 46 हो गई। संसद के शीतकालीन सत्र से विपक्षी सांसदों के निलंबन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह सही नहीं है कि वे सामूहिक रूप से सभी को सस्पेंड कर दें। अगर वे सोचते हैं कि सभा सुप्रीम हैं तो डरते क्यों हैं? अगर वे सभी सांसदों को सस्पेंड कर देंगे तो विपक्ष सदन में अपनी आवाज कैसे उठाएगा? सदन में तीन महत्वपूर्ण बिल पारित होने जा रेह हैं। लोकतंत्र में एक व्यवस्था होती है। लोगों की आवाज सदन में कौन उठाएगा? लोगों की आवाज घोंट दी गई है। पूरी तरह से विपक्ष को सस्पेंड कर सदन चलाना नैतिक रूप से सही नहीं है। -14 दिसंबर को भी हुए थे 14 सांसद सस्पेंड इससे पहले 14 दिसंबर को कुल 14 सांसदों को सस्पेंड किया गया था। इनमें से 13 लोकसभा और एक राज्यसभा सांसद था। इन्हें भी संसद के पूरे शीतकालीन सत्र के लिए सस्पेंड किया गया था। उस समय मणिकम टैगोर, कनिमोझी, पीआर नटराजन, वीके श्रीकंदन, बेनी बहानन, के सुब्रमण्यम, एस वेंकटेशन और मोहम्मद जावेद को लोकसभा से सस्पेंड किया गया था। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन एकमात्र राज्यसभा सांसद थे, जिन्हें सस्पेंड किया गया था। सांसदों को सस्पेंड करने का फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के मामले पर विपक्षी सांसद लगातार सदन में विरोध कर रहे हैं। इंडिया गठबंधन की तरफ से खडग़े की चिट्ठी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ को लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन का सस्पेंशन हटा लेना चाहिए। ऐसा करना संसदीय परंपरा का उल्लंघन है। सदन में नारेबाजी, तख्तियां लाना सही नहीं: स्पीकर स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि संसद की सुरक्षा चूक मामले में उच्चस्तरीय जांच जारी है। मामले में जांच कमेटी गठित की गई है। पहले भी जब इस तरह की घटनाएं हुईं तो पूर्व स्पीकरों के जरिए ही जांच प्रक्रिया आगे बढ़ी। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस घटना को लेकर राजनीति हो रही है। सदन में लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत ही चर्चा होनी चाहिए। सदन में नारेबाजी करना, तख्तियां लाना, विरोध करते हुए वेल में आना, आसंदी के पास आना ठीक नहीं है। देश के लोग भी इस आचरण को पसंद नहीं करते। लोकसभा से जिन सांसदों को सस्पेंड किया गया है, उनका सुरक्षा में चूक मामले से संबंध नहीं है।

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