बीजिंग चीन का नया वायरस पहले ही यूरोप में दस्तक दे चुका है। डेनमार्क और नीदरलैंड में लगातार मामले बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि वह स्थिति पर नजर रख रहा है और उसने चीन से और ज्यादा जानकारी मुहैया कराने के लिए कहा है। मिरर ने यूके मेडिकल साइंस और चेस्टर मेडिकल स्कूल के प्रोग्राम लीड डॉक्टर गैरेथ नी के हवाले से लिखा है कि यह स्थिति कोविड-19 जैसी कोई नई बीमारी नहीं है बल्कि यह एक और कोविड वायरस हो सकता है। चीन में पिछले कुछ दिनों से एक और वायरस ने हंगामा मचा कर रख दिया है। यूके के एक टॉप डॉक्टर ने कहा हे कि चीन में फैल रही निमोनिया की रहस्यमय लहर कोविड का ही एक स्वरूप है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि यह कोई नया वायरस नहीं है और फिलहाल घबराने की कोई जरूरत नहीं है। हाल के कुछ हफ्तों में देश के अस्पताल बीमार बच्चों से भर गए हैं। ऐसी आशंकाएं हैं कि यह बीमारी चीन की सीमा के बाहर फैल सकती है, जो कोरोनोवायरस महामारी के शुरुआती दिनों की याद दिलाती है। कई जगहें ऐसी भी रिपोर्ट्स हैं कि भारत जैसे आसपास के देश इस बीमारी से निपटने की तैयारी कर रहे हैं।विशेषज्ञों के मुताबिक यह सच लगता है कि चीन में खासतौर पर बच्चों में सांस से जुड़ी बीमारियों में इजाफा हो रहा है।
लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि यह कोई नई बीमारी नहीं है, जैसे कि कोविड -19 थी। यह केवल उन बीमारियों में इजाफा है जिनके बारे में लोग पहले से ही जानते हैं। यानी एक और कोविड वायरस SARS-CoV2, इन्फ्लूएंजा, बैक्टीरिया जो निमोनिया और सिंकाइटियल वायरस का कारण बनता है। चीन के बाद डेनमार्क और नीदरलैंड बच्चों में निमोनिया के प्रकोप की रिपोर्ट करने वाले नए देशों में शामिल हो गए हैं। इनफेक्शन डिजीज न्यूज ब्लॉग एवियन फ्लू डायरी पर एक पोस्ट से पता चला है कि माइकोप्लाज्मा निमोनिया संक्रमण महामारी के स्तर तक पहुंच गया है। डेनमार्क के स्टेटेंस सीरम इंस्टीट्यूट ने तो इसे महामारी बता डाला है। इसमें वृद्धि नीदरलैंड ने अगस्त के बाद से बच्चों और युवाओं में निमोनिया के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की। नीदरलैंड इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ सर्विसेज रिसर्च (एनआईवीईएल) के अनुसार, पिछले सप्ताह 5 से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक एक लाख बच्चों में से 103 को निमोनिया का सामना करना पड़ा। 26 नवंबर को चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि देश में सांस संबंधी बीमारियों में इजाफा फ्लू और बाकी ज्ञात रोगाणुओं के कारण हुई है, न कि किसी नये वायरस के कारण। चीन में सांस से संबंधी बीमारियों ने डब्ल्यूएचओ का ध्यान आकर्षित किया है।