वाशिंगटन। कहते हैं कि यूनिवर्स यानी ब्रह्मांड एक ऐसी जगह है, जो रहस्यों से भरी हुई है। इसके बारे में बहुत कुछ जानने के बावजूद बहुत कुछ ऐसा है, जिससे वैज्ञानिक अभी भी अंजान हैं। यूनिवर्स में कभी प्रकृति की खूबसूरती देखने को मिलती है, तो कभी उसका विकराल रूप सामने आता हैं। हाल में एरोनॉटिकल्स और स्पेस रिसर्च एजेंसी नासा ने इसी यूनिवर्स की जो तस्वीर जारी की वह जितनी खूबसूरत है उतनी ही डरावनी भी। दरअसल, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से दिखा ये नजारा कुछ ऐसा है जैसे यूनिवर्स में डीप-स्पेस ब्लॉब मॉन्स्टर यानी कोई डरावना पिशाच हो। टेलिस्कोप से प्राप्त तस्वीर में एक विशाल धूल भरी आकाशगंगा दिख रही है जो हर साल सैकड़ों सितारों को जन्म देती है। लेकिन ये कुछ ऐसी शेप में है कि डरावनी लग रही है। ये ऐसी है जैसे इसके दो बड़ी आंखें और खुले मुंह वाला कोई चेहरा हो। इस तस्वीर ने ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय (यूटी) के खगोलविदों का ध्यान खींचा तब उन्होंने दूरबीन के डेटा को विश्लेषित किया। विश्लेषण के बाद उन्होंने ये समझा कि आकाशगंगा बिग बैंग के लगभग 900 मिलियन साल बाद अस्तित्व में आई थी। ध्यान से देखने पर ये गैलेक्सी नहीं बल्कि भूत सी दिखाई पड़ती है, जैसे वह चीख रहा है।

 

इस खोज से प्रारंभिक ब्रह्मांड के बारे में वैज्ञानिकों की समझ में बदलाव आ सकता है। क्योंकि पहले, उन्होंने सोचा था कि विशाल स्टार नर्सरी दुर्लभ हैं, लेकिन इस गैलेक्सी ने संकेत दिया है कि ये वास्तव में तीन से 10 गुना अधिक दूर तक फैली हो सकती हैं। रिसर्चर जेड मैककिनी ने कहा कि ये गैलेक्सी एक वास्तविक राक्षस कहा जा सकता है, क्योंकि छोटी बूंद की तरह दिखने के बावजूद यह सालाना सैकड़ों नए तारे बनाने के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, और ये दिलचस्प है कि हमारे नए टेलिस्कोप से सबसे संवेदनशील इमेजिंग में इतनी बारीक चीजें भी दिखाई देती हैं। यह हमें बता रहा है कि आकाशगंगाओं की एक पूरी आबादी है जो अभी भी हमारी नजरों से दूर है।

 

 

बता दें कि मैककिनी और उनका दल दस लाख आकाशगंगाओं की पहचान करने के टारगेट के साथ, द कॉसमॉस-वेब पहल के लिए ब्रह्मांड का चार्ट बनाने के लिए नासा की जानकारी का उपयोग कर रहे हैं। इस चमकती गैलेक्सी को सबसे पहले जमीन पर दूरबीनों द्वारा खोजा गया था, लेकिन हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा खींची गई छवियों में कुछ भी न के बराबर दिख रहा था। वेब टीम ने चिली में एएलएमए टेलीस्कोप का उपयोग करके एक अन्य समूह द्वारा एकत्र किए गए डेटा में इसको देखा था, जिसमें इसे हायर स्पेटियल रिज़ॉल्यूशन है और इनफ्रारेड में देख सकता था। वे इस मेथड का उपयोग करके इसकी लोकेशन को स्पॉट करने में सक्षम थे।

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