BJP को प्रचंड बहुमत के बाद जीत मिलने के पर अब राजनीतिक गलियारों से बड़ी खबरें सामने आ रही हैं। दतिया सीट से हार के बाद मंत्री नरोत्तम मिश्रा भावुक हुए हैं। एक तरफ हारी हुई सीटों पर पार्टियों द्वारा मंथन हो रहा है। तो वहीं जीती पार्टी को शुभकामनाएं देने का सिलसिल शुरू हो गया है।

दतिया सीट से हार के बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भावुक हुए हैं। दतिया में कार्यकताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा है कि “मैं लौट के आऊंगा, ये वादा है मेरा… गलतियों की समीक्षा भी जरूरी है।” उन्होंने कहा कि सरकार आपकी है, दरकार आपकी है, ललकार आपकी है।
उन्होंने कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की रचना की पंक्तियों को दोहराते हुए कहा कि क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं। कर्म पथ पर जो भी मिला, यह भी सही वह भी सही। मैं लौटकर आऊंगा ये वादा है। उन्होंने भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर दतिया की जनता का आभार व्यक्त किया है।
‘हो सकता है हम सही विकास न कर पाए हों’
दरअसल, नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मैं दतिया की जनता को प्रणाम करता हूं। उनके सहयोग के लिए ग्रामीण और शहर की जनता का आभार व्यक्त करता हूं। मिश्रा बोले कि किसी ने कहा है न, क्या हार में क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं। कर्म पथ पर जो भी मिला, यह भी सही वह भी सही। उन्होंने कहा कि ये माननीय अटल जी पक्तियां हैं (असल में ये पंक्तियां कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की ‘वरदान मांगूंगा नहीं’ रचना की हैं)। देखिए जनादेश को हमेशा माथे पर लेना चाहिए और जनता का निर्णय हमेशा सही होता है। हो सकता है कि जनता की नजर में हम सही विकास नहीं कर पाए हों। इसलिए आने वाले को अवसर देना चाहिए कि वह हमसे अच्छा काम कर सके।
‘कोई न कोई त्रुटि तो हुई है हमसे’
भाजपा नेता ने आगे कहा कि जनता का ऐसा सोचना होगा कि हम जनता की सेवा शायद अच्छी न कर पाए हों। कही न कही कोई न कोई त्रुटि तो हुई है हमसे, हमें इसकी समीक्षा करनी चाहिए। इतना जरूर मैं आप सबको आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार आपकी है, ललकार आपकी है और दरकार भी आपकी है। किसी भ्रम में मत आ जाना, समुद्र का पानी उतरता देखकर किनारे पर घर मत बना लेना। मैं लौटकर आऊंगा ये वादा है। मैं ज्यादा देर तक शांत रहने वाला जीव नहीं हूं। लेकिन उनको अवसर जरूर देना चाहिए।
कांग्रेस के भारती ने दी मिश्रा को मात
गौरतलब है कि दतिया से गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा कांग्रेस के राजेंद्र भारती से 7,742 वोटों से हार गए। भारती तीसरी बार नरोत्तम के खिलाफ मैदान में थे। कांग्रेस ने यहां पहले भाजपा से आए अवधेश नायक को टिकट दिया था। लेकिन बाद में बदलकर भारती को ही उतारा। नायक और भारती दोनों मिलकर लड़े। भारती को सहानुभूति मिली।

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