सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल होते ही मची खलबली, बताया 9/11 हमले का कारण
वॉशिंगटन। दो दशक बाद ओसामा बिन लादेन का एक खत सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इससे अमेरिका की नींद उड़ गई है। जानकारी के अनुसार आतंकी संगठन अल कायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन का यह खत टिकटॉक पर वायरल हो रहा है, जिसकी चर्चा अमेरिका तक पहुंच चुकी है। ओसामा के इस खत को कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया और इसे एक्स पर फिर से साझा किया। इस पत्र में बिन लादेन ने बताया था कि उसने 9/11 हमले को क्यों अंजाम दिया और साथ ही उसने अमेरिका के खिलाफ जेहाद छेड़ने का ऐलान किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लादेन के 2002 के ‘लेटर टू अमेरिका’ के बाद हमास के साथ मौजूदा संघर्ष में इजरायल को अमेरिकी समर्थन के बारे में बहस छिड़ने के बाद टिकटॉक ने अपनी सर्च से हटा दिया है। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा कि अल कायदा फाउंडर का दस्तावेज मिडिल ईस्ट में संघर्षों में अमेरिका की भागीदारी के बारे में एक वैकल्पिक दृष्टिकोण देता है, जिसकी व्हाइट हाउस ने कड़ी निंदा की है।
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब यूजर्स ने एक खत की प्रतिलिपि का लिंक साझा किया। यह खत 11 सितंबर, 2001 के हमलों के एक साल बाद लिखा गया था। इस हमले में 3,000 से अधिक लोग मारे गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खत की भाषा यहूदी विरोधी है। पत्र में, बिन लादेन ने अमेरिकी लोगों से कुछ सवालों के जवाब मांगे, जिनमें हम आपसे क्यों लड़ रहे हैं, और आपका विरोध कर रहे हैं? और हम आपको किस लिए बुला रहे हैं, और हम आपसे क्या चाहते हैं?हालांकि इसने बिन लादेन के खत की वैधता और नैतिकता के बारे में सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। कुछ लोगों ने सहानुभूति भी व्यक्त की, जबकि अन्य ने इसकी निंदा की या इसका मजाक उड़ाया।
वायरल खत पर चर्चा करने वाले लोगों ने कहा कि इससे उन्हें इराक और अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्धों के बारे में अपनी मान्यताओं का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि वे 9/11 के हमले के लिए बिन लादेन की साजिश की प्रशंसा या बचाव नहीं कर रहे हैं।टिकटॉक के आलोचकों ने तर्क दिया कि यह सबूत है कि चीनी तकनीकी दिग्गज बाइटडांस के स्वामित्व वाला ऐप गुप्त रूप से अमेरिकी युवाओं के बीच प्रोपेगेंडा को बढ़ावा दे रहा था। बिन लादेन के पत्र में इजरायल के लिए अमेरिकी समर्थन की भी आलोचना की गई और अमेरिका पर फिलिस्तीनी लोगों के उत्पीड़न में सहायता करने का आरोप लगाया गया।