नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ 21वीं सदी की बदलती दुनिया का बेहतर मंच है। शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दूसरी वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा ‎कि भौगोलिक रूप से ग्लोबल साउथ हमेशा से रहा है, लेकिन उसे प्रभावी नेतृत्व पहली बार मिल रहा है।हम 100 से ज्यादा अलग-अलग देशों के हित और प्राथमिकताएं समान हैं।इसके साथ ही भारत मानता है कि नई टेक्नोलॉजी नॉर्थ और साउथ के बीच दूरियां बढ़ाने का नया स्त्रोत नहीं बनना चाहिए। गौरतलब है ‎कि जी-20 की मेजबानी के बाद भारत की मेजबानी में शुरू हुए इस आयोजन को भारतीय कूटनीति में अहम माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‎कि हम देख रहे हैं कि पश्चिम एशिया क्षेत्र की घटनाओं से नई चुनौतियां उभर रही हैं। भारत ने सात अक्तूबर को इस्राइल में हुए आतंकी हमले की निंदा की है। हमने संयम भी बरता है। हमने बातचीत और कूटनीति पर जोर दिया है। हम इस्राइल और हमास के बीच संघर्ष में नागरिकों की मौत की भी कड़ी निंदा करते हैं। फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से बात करने के बाद हमने फलस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता भेजी है। यह वह समय है जब ग्लोबल साउथ के देशों को व्यापक वैश्विक भलाई के लिए एकजुट होना चाहिए।

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