जोखिम भार बढ़ाने के कारण ऋण पोर्टफोलियो पर असर पड़ने की संभावना
नई दिल्ली। पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे असुरक्षित कर्ज में बढ़ोतरी पर बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को चेतावनी के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ऐसे ऋणों के लिए जोखिम भार 100 फीसदी से बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया है। जोखिम भार बढ़ने का मतलब है कि बैंकों को ऐसे कर्ज देते समय ज्यादा पूंजी अलग रखनी होगी जिसके परिणामस्वरूप ऋणदाता ऐसे कर्ज पर ब्याज दरों में इजाफा कर सकते हैं। आरबीआई ने कहा कि वाणिज्यिक बैंकों के उपभोक्ता ऋणों को देखते हुए जोखिम भार 25 फीसदी बढ़ाकर 125 फीसदी करने का निर्णय लिया गया है। इसमें पर्सनल लोन भी शामिल है लेकिन आवास ऋण, शिक्षा ऋण, वाहन ऋण और सोना तथा स्वर्ण आभूषण के बदले दिया जाने वाला सुरक्षित ऋण इसके दायरे में नहीं आएगा।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार बैंकों की कुल उधारी में करीब 20 फीसदी का इजाफा हुआ है, जिसमें क्रेडिट कार्ड ऋण वृद्धि करीब 30 फीसदी और पर्सनल लोन में 25 फीसदी उधारी बढ़ी है। जोखिम भार बढ़ाने के कारण ऋण पोर्टफोलियो पर असर पड़ने की संभावना है। सितंबर अंत तक बैंक का कुल रिटेल पोर्टफोलियो करीब 48.26 लाख करोड़ रुपये का था।अधिकारी और वरिष्ठ निदेशक कृष्णन सीतारमन ने कहा कि ऋण पोर्टफोलियो पर बैंक के रिटेल बुक के 30 फीसदी से अधिक असर नहीं पड़ना चाहिए, जो मुख्य रूप से असुरक्षित ऋण हैं। जोखिम भार 25 फीसदी बढ़ाया गया है, ऐसे में बैंकों की पूंजी पर्याप्तता अनुपात पर मामूली असर पड़ेगा। वर्तमान में बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी है और वे इस असर को वहन करने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर इसका संदेश सतर्क रहने का है। कोई भी खंड जो तेजी से बढ़ रहा है, उससे संबंधित खंड की संपत्ति की गुणवत्ता में चुनौतियां आने की आशंका रहती है।