देहरादून। उत्तरकाशी में चारधाम प्रोजेक्ट के तहत एक टनल का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। जिसमें सैकड़ो श्रमिक काम कर रहे हैं। 12 नवंबर को इस टनल का एक हिस्सा धसक गया और 40 मजदूर इसमें फंस गए। इन्हे निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। सभी श्रमिक टनल से बाहर निकलते इससे पहले इसी क्षेत्र में भूकंप आ गया। गनीमत रही कि किसी तरह का कोई हादसा नहीं हुआ। अच्छी बात ये है कि अभी सभी 40 मजदूर सुरक्षित बताए जा रहे हैं। टनल के प्रवेश द्वार से करीब 200 मीटर अंदर 40 मजदूर जहां फंसे हैं। उसके ठीक आगे 50 मीटर तक मलबा फैला है। रेस्क्यू टीम के लिए ये सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि टनल का वो हिस्सा काफी कमजोर है। इससे पहले जब दिल्ली में भूकंप के झटके आए थे तो ये झटके उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भी महसूस हुए थे। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 5.6 मापी गई थी। भूकंप का केंद्र भी नेपाल ही था।
उत्तराखंड में एक बार फिर धरती हिली है। इस भूकंप के झटके उत्तरकाशी के सिलक्यारा क्षेत्र में भी महसूस किए गए हैं। ये वही क्षेत्र है, जहां टनल में 40 मजदूर फंसे हुए हैं, जिनको बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 3.1 मापी गई है। एनसीएस के मुताबिक, उत्तरकाशी में ये भूकंप देर रात 02 बजकर 02 मिनट 10 सेंकड पर आया था। इसका केंद्र के जमीन के अंदर गहराई में पांच किलोमीटर था। बता दें कि उत्तरकाशी में 12 नवंबर की सुबह चारधाम प्रोजेक्ट के तहत बन रही टनल में एक हिस्सा धंस गया था। इस मलबे में 40 मजदूर हर पल मौत से जूझ रहे हैं। अच्छी बात ये है कि अभी सभी 40 मजदूर सुरक्षित बताए जा रहे हैं। टनल के प्रवेश द्वार से करीब 200 मीटर अंदर 40 मजदूर जहां फंसे हैं। उसके ठीक आगे 50 मीटर तक मलबा फैला है। रेस्क्यू टीम के लिए ये सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि टनल का वो हिस्सा काफी कमजोर है। इससे पहले जब दिल्ली में भूकंप के झटके आए थे तो ये झटके उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भी महसूस हुए थे। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 5.6 मापी गई थी।