नई दिल्ली। उत्तरकाशी के टनल में फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. इस टनल से फंसे मजदूरों को निकालने के लिए बीते 70 घंटे से ज्यादा समय से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. हालांकि,घटनास्थल के पास हुए एक लैंडस्लाइड की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन की गति पर असर जरूर पड़ा है. रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल अधिकारियों ने टनल के अंदर मलबे के बीच से स्टील पाइल के माध्यम से फंसे मजदूरों तक खाना और ऑक्सीजन पहुंचाने की कोशिश की थी. लेकिन मंगलवार रात हुए लैंडस्लाइड की वजह से उन्हें मशीन को हटाने को मजबूर होना पड़ा.
हालांकि, मजदूरों तक खाना और जरूरी साम्रगी पहुंचाने की कोशिश फिर से शुरू की जा रही है. राहत और बचाव दल ड्रीलिंग मशीन की मदद से फंसे मजदूरों के लिए एक रास्ता बनाने की कोशिश में है ताकि मजदूर इसकी मदद से बाहर निकल सकें. बचाव दल से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि 21 मीटर तक के मलबे को हटाया जा चुका है लेकिन अभी भी 19 मीटर को साफ करना बचा है. उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने पहले कहा था कि फंसे हुए मजदूरों को आज निकाला जा सकता है.
उन्होंने मंगलवार शाम को दुर्घटनास्थल का दौरा करने के बाद कहा था कि अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो फंसे हुए मजदूरों को बुधवार तक निकाल लिया जाएगा. लेकिन अब जो वीडियो सामने आए हैं उनमें बचाव दल को ड्रिलिंग मशीन और बनाए गए प्लेटफ़ॉर्म को नष्ट करते हुए दिखाया गया है. एक अपडेट में, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल ने कहा कि एक नई ड्रिलिंग मशीन स्थापित करने पर काम चल रहा है. नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL), NDRF, SDRF, ITBP, BRO और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं. मजदूरों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. खाना-पानी भी दिया जा रहा है.
आपको बता दें कि घटनास्थल के वीडियो में कंक्रीट के विशाल ढेर सुरंग को ब्लॉक करते हुए दिखाई दे रहे हैं, इसकी टूटी हुई छत से मुड़ी हुई धातु की छड़ें मलबे में दबी हुई हैं, जो बचाव कर्मियों के लिए और अधिक मुश्किलें पैदा कर रही हैं. इस मलबे में जो मजदूर फंसे हैं वो ज्यादातर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं. गौरतलब है कि रेस्क्यू टीम ने शुरुआत में एक कागजी नोट को पाइप के जरिए पास कराया .कागज जब अंदर चला गया, तो वॉकी टॉकी को उसी पाइप से नीचे खिसका दिया गया. क्योंकि चट्टान की दीवार के पीछे से सेलफोन रिसेप्शन नामुमकिन था.