वॉशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने तारों के जीवन चक्र की स्टडी के लिए कल एक साउंडिंग रॉकेट भेजा है। यह 20 हजार साल पुराने एक तारे का टुकडे सिग्नस लूप सुपरनोवा का अध्ययन करेगा। पृथ्वी से सिग्नस लूप लगभग 2,600 प्रकाश वर्ष दूर है। इंटीग्रल फील्ड अल्ट्रावॉयलेट स्पेक्ट्रोस्कोप एक्सपेरिमेंट नाम का साउंडिंग रॉकेट मिशन 29 अक्टूबर को न्यू मेक्सिको में व्हाइट सैंड्स मिसाइल रेंज से लॉन्च किया गया था।
खगोलविदों के अनुसार, सूर्य से 20 गुना बड़ा एक विशाल तारा था। सुपरनोवा में विस्फोट इतना चमकीला था कि संभवतः इसे पृथ्वी से देखा गया था। इस सुपरनोवा विस्फोट के बाद इसके कुछ टुकड़े ब्रह्मांड में हुए हैं,।अब खगोलविद इसे सिग्नस लूप के नाम से जानते हैं। इंटीग्रल फील्ड अल्ट्रावॉयलेट स्पेक्ट्रोस्कोप एक्सपेरिमेंट मिशन सिग्नस लूप का अध्ययन करेगा और तारों के जीवन चक्र को समझने का प्रयास करेगा। मिशन के हेड और कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के ब्रायन फ्लेमिंग ने एक बयान में बताया, ‘सिग्नस लूप बनाने वाले सुपरनोवा का आकाशगंगाओं के निर्माण पर बहुत बड़ा प्रभाव होता है।’कॉन्स्टेलशन सिग्नस उत्तरी गोलार्ध में हर साल कुछ महीनों के अंतराल पर दिखाई देता था। अंतरिक्ष में जिस जगह पर ये उगते हैं यह वैज्ञानिकों और खगोलविदों का सबसे पसंदीदा स्थान है, यहां पर सिग्नस लूप या वेइल नेबुला दोनो मौजूद रहते हैं। सिग्नस लूप एक तारे का अवशेष है, जो कभी हमारे सूर्य से 20 गुना बड़ा था।